म्यूचुअल फंड (Mutual fund) निवेश का एक तरीका है जिसमें की निवेशक अपना पैसा निवेश करते हैं और इससे अपना लाभ कमाते हैं परंतु एक नए निवेशक को निवेश करने के पूर्व म्यूचुअल फंड के नुकसान (Mutual fund ke nuksan) के बारे में जानना काफी ज्यादा आवश्यक है क्योंकि म्यूचुअल फंड के फायदे हैं तो म्यूचुअल फंड के नुकसान भी उतने ही हैं. यहां पर हिंदी में म्यूचुअल फंड के नुकसान (Hindi me Mutual fund ke nuksan) के बारे में बताया गया है, आइए जानते हैं सरल भाषा में म्यूचुअल फंड के नुकसान-
रिटर्न की कोई गारंटी नहीं (no return guarantee)
म्यूचुअल फंड AMC कंपनियों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं जिसमें की निवेशक का पैसा अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट/ सिक्योरिटी (Instrument / Security) में निवेश करते हैं. हर एक इंस्ट्रूमेंट का एक अपना अलग जोखिम होता है, क्योंकि यह सभी बाजार का एक हिस्सा होता है जो समय समय पर उतार चढ़ाव का सामना करता है जिससे कि कोई भी म्यूचुअल फंड हाउस रिटर्न की गारंटी नहीं देता है.
शेयर बाजार गिरने पर म्यूचुअल फंड पर भी असर होता है जिस कारण यहां हमेशा जोखिम की संभावना बनी रहती है.
परंतु यदि लगातार एसआईपी (SIP) के जरिए लंबे समय के लिए निवेश किया जाता है तो इसके जो कि उनको बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
एक्सपेंशन रेशो (expansion ratio)
म्यूचुअल फंड के नुकसान में एक्सपेंशन रेशों (expansion ratio) एक बहुत बड़ा नुकसान है. एक्सपेंशन रेशों म्यूचुअल फंड के लाभ का का एक बड़ा हिस्सा खा जाता है. एक्सपेंशन रेशों म्यूचुअल फंड का वह खर्चे जो म्यूचुअल फंड को बढ़ाने के लिए किया जाता हे, म्यूचुअल फंड में निवेश करने के पहले व्यय अनुपात (expansion ratio) के बारे में पता करना बहुत ही आवश्यक है, नहीं तो आपके निवेश पर भले ही अच्छा मुनाफा मिल रहा हो परंतु आपके हाथ ज्यादा मुनाफा नहीं लगेगा. यह म्यूचुअल फंड के खर्चे की दर (expansion ratio) खा जाएगी.
लॉक इन अवधि (lock in period)
लॉक इन अवधि (lock in period) वह अवधि होती है जिस अवधि में म्यूचुअल फंड निवेशक अपना पैसा नहीं निकाल सकता यह अवधि अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए अलग-अलग हो सकती है सामान्यता लॉक इन अवधि 3 साल से 5 साल होती है.
सामान्यता क्लोज एंडेड स्कीम और ईएलएसएस ELLS स्कीम में लॉक इन पीरियड (lock in period) होता है
लॉक इन अवधि (lock in period) होने से एक बहुत बड़ा नुकसान इमरजेंसी में होता है, जब इमरजेंसी में आवश्यकता पड़ने पर पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत होती है तब लॉक इन पीरियड होने से मुनाफे के साथ पैसा नहीं निकाल सकते. इसलिए अब ऐसे पैसे को निवेश कर सकते हैं जो आपको आवश्यकता पढ़ने पर निकालने ना पड़े.
म्यूचुअल फंड रिटर्न पर टैक्स (Tax on Mutual Fund Returns)
म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आपको टैक्स का भुगतान करना होता है. जो शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन (short term capital gain) या लोंग टर्म कैपिटल गैन (long term capital gain) के रूप में वसूला जाता है.
यदि आप 1 साल से कम के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन 15% देना होगा वही 1 साल से अधिक के निवेश पर आपको 10% के मान से लोंग टर्म कैपिटल गैन का भुगतान करना होगा.
इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने के पहले उसके रिटर्न (जोकि 12 से 15%) और उसके टैक्स के बारे में भली-भांति जान लेना जरूरी होता है कहीं ऐसा ना हो कि आपका रिटर्न कम और टैक्स ज्यादा हो.
स्टॉक मार्केट से कम रिटर्न (less return than stock market)
जहां एक और शेयर मार्केट में काफी ज्यादा रिटर्न मिल सकते हैं वही म्यूचुअल फंड मैं यह सीमित होते हैं. थोड़ी नॉलेज और समझदारी के साथ डायरेक्ट शेयर मार्केट में निवेश करके म्यूचुअल फंड से ज्यादा रिटर्न प्राप्त किए जा सकते हैं.
जिससे निवेशकों का रुख शेयर मार्केट की ओर अधिक हुआ म्यूचुअल फंड की ओर कम हो जाता है.
नियंत्रण न होना (lack of control)
म्यूचुअल फंड का एक बहुत बड़ा नुकसान यह भी होता है की सीधे निवेशक के हाथ में इसका नियंत्रण नहीं होता है. जिससे निवेशक अपने अनुसार निवेश को नियंत्रित नहीं कर सकता बल्कि म्यूचुअल फंड का संपूर्ण नियंत्रण फंड मैनेजर के हाथ में होता है. फंड मैनेजर ही निर्णय लेते हैं कि पैसे को कहां कहां पर निवेश करना है. जिससे म्यूचुअल फंड के नुकसान बढ़ जाते हैं फंड मैनेजर को फीस व कमीशन देना पड़ता हैं जिससे आपके रिटर्न कम हो जाते हैं.
पोर्टफोलियो का रिव्यू करना (reviewing portfolio)
म्यूचुअल फंड को फंड मैनेजर मैनेज करते हैं, यह फंड मैनेजर अलग-अलग स्कीम्स और कई सारे फंड को मैनेज करते हैं जिससे यह किसी एक विशेष म्यूचुअल फंड पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. जिससे हो सकता है कि जिस स्कीम/फंड में निवेश किया है वह अंडरपरफॉर्म (underperform) कर रही हो.
इससे बचने के लिए आपको समय-समय पर पोर्टफोलियो का रिव्यू करना होगा जिसके लिए आपको काफी अधिक जानकारी होना जरूरी है. जानकारी के अभाव में आप अपना पोर्टफोलियो रिव्यू नहीं कर पाएंगे और इसे समझने के लिए काफी ज्यादा समय लग सकता है, जोकि म्यूचुअल फंड का एक बहुत बड़ा नुकसान है.
गलत स्कीम का चुनाव (wrong scheme selection)
म्यूचुअल फंड स्कीम चुनते समय काफी ज्यादा स्कीम की जानकारी, उसका ट्रेक रिकॉर्ड, उसके फंड मैनेजर और कई सारे फंडामेंटल एनालिसिस करना होते हैं, नहीं तो गलत स्कीम का चुनाव हो जाने पर आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
अधिकांश फंड हाउस कई सारी म्यूचुअल फंड स्कीम देते हैं जिससे उनके चुनाव में कठिनाई होती है और बहुत सारी म्युचुअल फंड स्कीम होने से असमंजस (Confusion) भी बना रहता है. हमेशा अच्छे रिटर्न देने वाली स्कीम का चुनाव बेहतर होता है
एग्जिट लोड (exit load)
एग्जिट लोड वह पैसा होता है जो आपको म्यूचुअल फंड से पैसे निकालने पर लिया जाता है. यह आमतौर पर 1 वर्ष से कम अवधि के निवेश पर लिया जाता है यह 1% से 2% तक हो सकता है. जो निवेशक कम समय अवधि के लिए निवेश करते हैं उनके लिए यहां सही नहीं है.
फंड मैनेजर भी यह चाहते हैं कि म्यूचुअल फंड निवेशक लंबी अवधि के लिए अपने निवेश को बनाए रखें और जल्दी अपने फंड से एग्जिट ना हो.
एग्जिट लोड इस प्रकार निकाला जाता है
कुल एग्जिट लोड= एग्जिट लोड प्रतिशत* निकाली जाने वाली राशि
=0.01*500000
=5000
डायवर्सिफिकेशन (diversification)
म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने पर कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है. जब शेयर के भाव दुगने हो जाते हैं तब भी आपके म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश की गई राशि दुगनी नहीं होती क्योंकि उस शेयर में आपके निवेश का एक छोटा सा हिस्सा ही होता है जिससे आपको कम लाभ मिलता है.
निष्कर्ष
जिस प्रकार म्यूचुअल फंड कई सारे लाभ प्रदान करता है उसी प्रकार ऊपर बताए गए म्यूचुअल फंड के नुकसान भी निवेशक को उठाना पड़ सकते हैं. इस लेख में आपने म्यूचुअल फंड के नुकसान हिंदी में जाने.