म्यूच्युअल फण्ड मे निवेश करने के कई सारे विकल्प है, जिनमे से एक है लिक्विड फण्ड। सभी फण्ड हाउस अपने निवेशको को लिक्विड फण्ड मे निवेश करने की सुविधा प्रदान करते है। जिससे की निवेशक अपने धन को किसी भी समय कैश मे बदल सकते है। कम समयावधी के निवेशक अधिकांश इस प्रकार के फण्ड मे निवेश करते है.
Liquid Fund क्या हैं?
डेट फंड की एक कैटेगरी है जो डेट और मनी मार्केट के इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कॉमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल आदि में निवेश करता है. इसमें 91 दिनों तक की मैच्योरिटी अवधि होती है. लिक्विड फंड में निवेश करने सबसे बड़ा फायदा liquidity का है. लिक्विडिटी का मतलब किसी फंड को कितनी जल्दी बेच या खरीद कर उसे कैश में बदला परिवर्तीत कर सकते है.
Liquid Fund किसमें इन्वेस्ट करते हैं?
लिक्विड फण्ड मे अधिकांश निवेश सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट्स मे किया जाता है जिसका की रिर्टन पहले से ही फिक्स होता है। ये फण्ड अपना पैसा सरकारी प्रतिभुति, बांड, डिबेंचर्स आदि मे निवेश करते है जो पहले से निश्चित ब्याज देते है.
लिक्विड फण्ड मे कितना रिर्टन मिलता है ?
लिक्विड फण्ड का रिर्टन निवेश किये गये सिक्योरिटी के ब्याज पर निर्भर करता है, सामान्यतः रिर्टन का प्रतिशत 6% से 8% तक होता है। परंतु यदि ब्याज दर बढ जाती है तो इस फण्ड का रिर्टन भी बढ जाता है.
लिक्विड फण्ड मे रिस्क कितना होता है?
लिक्विड फण्ड मे किया गया निवेश डेब्ट इंस्ट्रुमेंट मे किया जाता है जिससे की इस फण्ड का रिस्क ना के बराबर होता है। जब ब्याज दरे कम ज्यादा होती है केवल तब इस फण्ड मे थोडा बहुत रिस्क हो सकता है पर लम्बे समय के लिये यह बहुत सुरक्षित है। इसके अलावा दुसरी रिस्क क्रेडिट रिस्क होती है, जिसमे कई बार बांड का पैसा फण्ड हाउस को वापस नही मिलता है। परंतु फण्ड मेनेजर निवेश को अधिक डायवर्सीफाई रखते है जिससे की रिस्क बहुत ही कम होता है.
Liquid Fund कैसे काम करते हैं?
लिक्विड फण्ड मे जब भी निवेश किया जाता है तो फण्ड मेनेजर उस पैसे को सरकारी प्रतिभुतियो, बांड, डिबेंचर आदि मे निवेश किया जाता है, जिसकी एक नियमित प्रोसेस होती है जो लगातार चलती रहती है। इन इंस्ट्रुमेंट की ब्याज दर के आधार पर लिक्विड फण्ड का एन ए व्ही निकाला जाता है। ब्याज की फिक्स दर के कारण लिक्विड फण्ड ज्यादा अस्थिरता नही होती है.
लिक्विड फण्ड के फायदे
- अच्छा रिटर्न – फिक्स डिपाजिट और सेंविग अकाउंट की तुलना मे लिक्विड फण्ड अच्छे रिर्टन देता है क्योकि फिस्क डिपाजिट और सेविंग अकाउंट मे मुद्रास्फिती के साथ कम लाभ होता है. परंतु लिक्विड फण्ड मे कम सयम अवधी और निश्चित ब्याज दर के कारण यह अधिक लोकप्रिय है.
- कम जोखिम – लिक्विड फण्ड का पैसा डेब्ट इंस्ट्रुमेंट मे निवेश किया जाता है जिससे यह अधिक सुरक्षित होता है। इसमे मार्केट के उतार चढाव का कोई फर्क नही पढता है और यह अधिक स्थिर रहते है.
- लिक्विडीटी – जैसा की इस फण्ड के नाम से ही प्रतित होता है कि यह फण्ड अच्छी लिक्विड फण्ड है. यह सभी स्कीम से ज्यादा लिक्विडीटी देता है इसमे आप जब चाहे पैसा डाल सकते है और जब चाहे पैसा निकाल सकते है.
- डायवर्सीफिकेशन – इस फण्ड का पैसा अलग-अलग बांड, डिबेंचर, सिक्योरिटी मे निवेश किया जाता है जिससे यह डायवर्सीफाइड हो जाता है और निवेशक को विविधता मिल जाती है.
- कोई एग्जिट लोड नही– सिक्योरिटीज़ के मैच्योर होने पर निवेशक को निश्चित ब्याज के साथ मूल राशि मिल जाती है. शॉर्ट टर्म अवधि के कारण लिक्विड फंड ज्यादा लोकप्रिय हैं. लिक्विड फंड में निवेश करने पर कोई लॉक-इन अवधि नहीं होती है. निवेश के 7 दिनों के बाद निवेश की गई पूंजी को वापस लेने पर कोई एग्जिट फीस शुल्क नहीं है.
लिक्विड फंड मे निवेश की स्ट्रेटजी
लिक्विड फंड उनके लिए बढ़िया है जो कम अवधि के लिए अपना पैसा कहीं सुरक्षि रखना चाहते हैं छोटे निवेशक इमर्जेंसी फंड बनाने के लिए इस प्रकार की स्कीमों में पैसा लगाते हैं. फिलहाल निवेशकों को लिक्विड फंडों कम रिर्टन मिलता है. जो निवेशक पंद्रह दिन से लेकर तीन महीने के लिए अपना पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं वे लिक्विड फंड में निवेश कर सकते हैं.
पंद्रह दिन की अवधि के लिए अपनी सरप्लस रकम रखने के लिए ओवरनाइट फंड अच्छा प्रोडक्ट है. जो निवेशक 45 दिन या इससे अधिक का निवेश टारगेट लेकर चल रहे हैं वे अपनी जरूरतों के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में पैसा लगा सकते हैं छोटी अवधि का निवेश करने की चाहत रखने वाले शॉर्ट टर्म प्रोडक्ट चुन सकते हैं जिनमें अस्थिरता कम हो और रिटर्न का अनुमान लगाना संभव हो.
लिक्विड फंड की खास बात
लिक्विड फंड दूसरे डेट फंड से नेट एसेट वेल्यु के लिहाज से अलग होते हैं। किसी ट्रांजेक्शन डे को दोपहर बाद 2 बजे तक किए गए निवेश के मामले में पिछले दिन के । ए एन वी पर यूनिट अलॉट की जाती है. इस तरह लिक्विड फंड एक मात्र ऐसी श्रेणी हैए जिसमें पिछले दिन के एन.वी. का उपयोग होता है। किसी खास ट्रांजेक्शन डे को दोपहर बाद 3 बजे तक रिडेम्पशन के मामले में यूनिट उसी दिन के एनवी पर रिडीम की जाती है और पैसे को अगले वर्किंग डे पर बैंक अकाउंट में ट्रांसफर दिया जाता है.