किसी भी कम्पनी को चलाने के लिये पैसे की आवश्यकता होती है । कम्पनी अपने व्यवसाय को चलाने क लिये पुंजी दो प्रकार से लेती है पहला शेयर जारी कर के व दुसरा उधार लेकर यह धन कम्पनी का कैपीटल कहलाता है। धन की वह अधिकतम मात्रा नियमानुसार शेयर जारी कर सकती है कम्पनी की अधिकृत पुंजी authorize capital कहलाती है।
इस अधिकृत पुंजी मे से कम्पनी जो शेयर जारी करती है और पुंजी प्राप्त करती है उसे शेयर केपिटल कहते है। इस प्रकार के शेयर केपिटल कम्पनी समय समय पर प्राथमिक बाजार मे उतार कर शेयर जारी करती है। किसी भी समय पर उस समय तक कंपनी द्वारा शेयर जारी करके जो पुंजी प्राप्त करती है उसे पैड अप कैपिटल (pad up capital) कहा जाता है। आथोराईज शेयर (authorize share) का वह हिस्सा जिसे कम्पनी धन लेकर जारी कर चुकी है उसे इश्यूड कैपिटल कहते है।
कई बार कम्पनी नये शेयर जारी करती है तो शेयर धारको के लिये यह आवश्यक नही होता है कि वह सारा पैसा एक बार चुकाए। बल्की उस पैसे को वह टुकडो में दे सकते है। और कम्पनी भविष्य मे पैसा लेती है। इस प्रकार जारी नये शेयर की कुल पुंजी का वह हिस्सा जो कम्पनी अभी आंशिक रुप से इकट्ठा करती है उस काल्ड-अप कैपिटल (Cald-up Capital) कहते है।
शेयर केपिटल
शेयर केपिटल शेयर धारको की धन राशी होती है इस लिये इसे लाभ या हानी वाले कालम में नही दरशायाजाता है और यह शेयर धारको की देनदानी है इस लिये यह आय या खर्च का भी हिस्सा नही है, यह एक प्रकार का कम्पनी का उधार है जो की कम्पनी बन्द होने पर नियमानुसार शेयर धारको को राशि वापस किया जाना चाहीये। क्योंकी यह खर्चे का हिस्सा नही है तो इसे कम्पनी के खाते मे ना दर्शाते हुवे इसे शेयर केपिटल के नाम से दर्ज किया जाता है।
Authorized share capital
कम्पनी की कुल पुंजी का वह हिस्सा जो कम्पनी शेयर जारी कर के प्राप्त कर सकती है। इसकी एक निश्चित सिमा होती है जिससे ज्यादा कम्पनी शेयर जारी नही कर सकती है। कम्पनी के मेमोरेंडम कम्पनी के अद्धेश्य के साथ ही कम्पनी के अथोराईज्ड शेयर तय कर देती है।
इश्यू Share capital
अधिकतर कम्पनीया इश्यु शेयर केपिटल कम रखती है क्योकी बाद मे आवश्यतका पडने पर वह इन्हे मार्केट मे उतार कर पेसा प्राप्त कर सकती है। कम्पनी अपनी पुरी सीमा पहली बार मे खत्म नही करती है जिससे की उसे यदि बाद मे धन की आवश्यका हो तो वह शेयर इश्यु कर के प्राप्त कर सके।
Subscribed कैपिटल
इश्यू share capital का वह हिस्सा जो प्राथमि बाजार से बिक चुका हे अर्थात लोगो ने उसे सबस्क्राईब कर दिया है। इसमे शेयरो की कुल संख्या का अनुमान होता है कि कितने शेयर जारी किये गये और कितने शेयर सबस्क्राइब किये गये।
पैड अप कैपिटल
कैपिटल किसी कम्पनी की कुल पुंजी टोटल केपिटल कई सारी चीजो से मिलकर बनती है जैसे की कुछ हिस्सा प्रमोट द्वारा दिया जाता है कुछ हिस्सा कम्पनी बैंक से उधार लेती है और कुछ हिस्सा व शेयर जारी कर के लेती है। जो हिस्सा शेयर जारी कर के प्राप्त करती है उसे पेड अप केपिटल कहते है।
बोनस व राइट शेयर
बोनस शेयर (bonus share) कम्पनी अपने शेयर धारको को फ्रि मे जारी करती है। बोनस शेयर का सम्बन्ध कैपिटलाइजेशन (capitalization) आफ रिजर्व से होता है। कम्पनी अपने लाभ मे से कुछ हिस्सा साल दर साल बचाती रहती है और इसे पुजीकरण करने के लिये अपने शेयर धारको को दे देती है जिससे की वह बाजार मे आ जाते है और फिर उनका लेन देन शुरु हो जाता है। इस प्रकार कम्पनी का जो रिजर्व फण्ड होता है वह इकवीटी (equity) मे बदल जाता है। बोनस शेयर जारी करने के बाद बाजर मे शेयर की किमत मे गिरावट आती है। उसके कुछ समय बाद शेयर की किमत फिर सामान्य हो जाती है।
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