शेयरो की Trading एक महत्वपूर्ण फेक्टर हे जिससे की निवेशक शेयर मार्केट की तरफ आकर्षित होते है। Trading करना अपने आप मे एक अच्छा अनुभव है और इससे प्राप्त होने वाले रिर्टन ओर भी अच्छे अनुभव देता है। बाजार मे उतार चढाव की स्थिति बहुत सारे निवेशको को अच्छा अनुभव देती है। शेयरो की Trading कई सारी प्रक्रियो से गुजरती है जो निचे बताई गई है
स्टाक एक्सचेंज (Stock exchange)
स्टाक एक्सचेंज शेयर की खरीदी एवं बिक्री का एक माध्यम है जो कि सरकार की निगरानी मे कम्पनी के शेयरो को लिस्ट करता है और बाजार मे उतारता है। स्टाक एक्सचेंज सबसे पहले एक बरगद के पेड के निचे हुआ करता था जहां भोतिक रुप से शेयरो की खरिदी एवं बिक्री होती थी।
परंतु आज सब कुछ कम्प्युटराईज हो गया है और सब कुछ Virtual बन गया है। जिसमे शेयरो की खरिदी एवं बिक्री कुछ ही सेंकण्ड मे आर्डर का मिलान कर के कम्प्युटर द्वारा की जाती है। ये कम्प्युटर एक टर्मीनल सेटेलाईट (Terminal satellite) के सेन्ट्रल सिस्टम से जुडे होते है जिसमे सिर्फ हमे बाय या सेल आर्डर देना होता है जो ब्रोकर के माध्यम से Trading टर्मिनल तक पहुचता है ।
इन आर्डर का मिलान अन्य आर्डर से किया जाता है जिस आर्डर का मिलान हो जाता है उस सोदे को बंद कर दिया जाता है अर्थात सेन्ट्रल सिस्टम बाय और सेल आर्डर मिलाता है यदि आर्डर मिल जाता है तो सोदा तय हो जाता है। खरिदी एवं बिक्री के लिये दो तरह के आर्डर होते है पहला Limit order और दूसरा Market order।
लिमिट आर्डर (Limit order)
लिमिट आर्डर को फिक्स प्राइस आर्डर भी कहते है। इस प्रकार के आर्डर मे आप एक फिक्स किमत पर आपना आर्डर लगाते है जो भी शेयर आपको खरिदना या बेचना होता है तो आप अपना आर्डर वर्तमान किमत से कुछ घटा या बडा कर अपने ब्रोकर को फोन कर के या खुद अपने कम्प्युटर पर बाय या सेल (Buy or sell) आर्डर लगा सकते है। इसमे आप स्वयं किमत निर्धारित करते है ओर आपके शेयर के देन दार या लेनदार आपको मिल जाते है तो यह सोदा तय हो जाता है निर्धारित किमत पर शेयर का आदान प्रदान हो जाता है।
उदाहरण के लिये मान लिजिये कोई कम्पनी है एक्स उसके शेयर आपको 100 शेयर 10 रुपये के भाव से खरिदना है पर उस समय शेयर का भाव 11 रुपये चल रहा है ओर आपको लगता है कि यह रेट कम होगा और शेयर 10 रुपये पर वापस आयेगा । तब आप उस शेयर के लिये लिमिट प्रइस 10 वाला आर्डर लगा देते है। बाजार बंद होने से पहले यदि उस शेयर की किमत 10 रुपये हो जाती है तो वह शेयर आपको मिल जायेगा । और यदि किमत 10 रुपये 50 पैसे तक निचे आयी तो बाजार बंद होने पर आपका आर्डर केंसल हो जायेगा। इसी प्रकार आप शेयर को बेचने के लिये भी लिमिट आर्डर लगा सकते है।
मार्केट आर्डर (Market order)
इस प्रकार के आर्डर का तब उपयोग किया जाता है जब आपको वर्तमान भाव जो चल रहा है उस भाव मे शेयर खरीदना या बेचना होता है। इसमे आप तय नही करते की आप कितने रुपये मे शेयर को खरिदेगें या बेचेंगे । आपके मार्केट आर्डर लगा देने के बाद स्वतः ही ब्रोकर के कम्प्युटर सिस्टम (सेन्ट्रल टर्मीनल सिस्टम ) मे जो भाव शेयर का चल रहा होता है वह अन्य आर्डर से मिलान करता है और तुरंत ही आपके सोदे को काट देता है ।
जिससे की आपके शेयर वर्तमान भाव पर खरिद या बेच दिये जाते है। यदि आप बडे सोदे करते है तो इस प्रकार के आर्डर ना लगाये क्योकि मार्केट मे काफी ज्यादा उतार चडाव चलता रहता है जिससे की मार्केट आर्डर मे आपको नुकसान होने का खतरा होता है। इस प्रकार के आर्डर का तब उपयोग किया जाता है जब आपको वर्तमान भाव जो चल रहा है उस भाव मे शेयर खरीदना या बेचना होता है। इसमे आप तय नही करते की आप कितने रुपये मे शेयर को खरिदेगें या बेचेंगे ।
आपके मार्केट आर्डर लगा देने के बाद स्वतः ही ब्रोकर के कम्प्युटर सिस्टम (सेन्ट्रल टर्मीनल सिस्टम ) मे जो भाव शेयर का चल रहा होता है वह अन्य आर्डर से मिलान करता है और तुरंत ही आपके सोदे को काट देता है । जिससे की आपके शेयर वर्तमान भाव पर खरिद या बेच दिये जाते है। यदि आप बडे सोदे करते है तो इस प्रकार के आर्डर ना लगाये क्योकि मार्केट मे काफी ज्यादा उतार चडाव चलता रहता है जिससे की मार्केट आर्डर मे आपको नुकसान होने का खतरा होता है।
स्टाप लाॅस आर्डर (Stop loss order)
इस आर्डर के नाम से ही स्पष्ट है कि यह आर्डर आपके होने वाले नुकसान से बचाता है। इस प्रकार का आर्डर तब लगाया जाता है जब आपको पता होता है कि बाजार आपके लगाये गये भाव के विपरित आ सकता है। तो आप स्टाप लास (Stop lass) लगाकर आपके नुकसान को सिमित कर सकते है। बाजार मे उतार चढाव चलता रहता हे और जो निवेशक शार्ट टर्म (Short term) के लिये शेयरो का सोदा करते है और वे बाजार पर नजर नही रख पाते है। तक वे आर्डर लगा कर निश्चिंत हो जाते है।
शेयर की खरीदी एवं बिक्री (Buy and sell shares)
शेयर की खरीदी एवं बिक्री को Trading कहते है। देखने मे यह सामान्यतः सभी के लिये एक जैसी होती है लेकिन अलग अलग श्रेणी के निवेशक के लिये यह अलग अलग होती है इसमे मुख्य अन्तर है वह है शेयर की मात्रा । एक छोटा निवेशक किसी कम्पनी के 50,100 या इससे अधिक शेयर खरीदता है। परन्तु जब कोई बडा निवेशक या संस्थागत निवेशक शेयर खरीदते है तो वे लाखो मे ट्रांजेक्सन करते है।
जिससे की बाजार मे काफी उतार चडाव होता है। और ये कई बार मार्केट को प्रभावित भी करते है। जब से शेयरो का डीमैटीरियलाइजेशन (Dematerialization) हुआ है तक से एक सामान्य व्यक्ति किसी कम्पनी का 1 शेयर भी खरीद सकता है उसे किसी लाट या कागजी झमेले मे नही पडना पडता।
Trading की प्रक्रिया क्या है ? (Process of trading?)
आज शेयर खरीदना काफी आसान है जिसे आप अपने मोबाईल फोन या कम्प्युटर से एक क्लिक मे खरीद सकते है इसके लिये आपके ब्रोकर के प्लेटफार्म (Terminal) पर जाकर बस उस कम्पनी के शेयर को चुनना है और बाय आर्डर लगाना है । यह आर्डर Executive होने के बाद शेयर आपके डीमैट खाते मे आ जायेंगे ओर आपके डीमैट खाते स पेसे कट जायेंगे।
इसके अलावा बहुत सारे लोग Day Trading करते है ओर उसी दिन अपनी पोजिशन स्क्वायर आफ कर देते है तो उस स्थिति मे उन्हे शेयर नही मिलते है ना ही वे दे पाते है। बस उन्हे उस शेयर के खरीदी एवं बिक्री के बिच का जो अन्तर होता है वह मिल जाता है। इसमे जो ब्रोकर का चार्ज व टेक्स होते है वे काट लिये जाते है। बाकि जो बचा हुआ पैसा है वह डीमैट खाते मे आ जाता है।
सेटलमेंट साइकल (Settlement cycle)
शेयर के खरीदी एवं बिक्री के बाद उसका सेटलमेट साइकल चालु होता है । आपके द्वारा शेयर खरीदी या बिक्री के निर्णय के बाद पे इन व पे आउट (Pay in, pay out) की प्रक्रिया चालु हो जाती है जो दो कार्य दिवस मे पूर्ण की जाती है। यदि आप शेयर खरीदते है तो दो कार्य दिवस मे आपके डीमैट खाते मे शेयर की डीलेवरी हो जाती है ओर आपके तय सोदे के अनुसार पैसे डिमैट खाते से कट जाते है।
यदि आप शेयर बेचते है तो आपके शेयर दो कार्य दिवस मे आपके डिमैट खाते से खरीदार को डिलीवर होते है ओर आपको तय सोदे के अनुसार पे आउट टेक्स काट कर मिल जाता है।
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