EPS क्या है ? Earning Per Share का उपयोग कैसे करें

Jan 26, 2022
ईपीएस (EPS) क्या है

किसी भी स्टाक(Inventory) को खरीदने से पहले आप उसके कई सारे फाइनेंसियल रेशों (monetary ratios) देख सकते हैं. जिसमें किसी भी शेयर को चुनने में EPS एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति का पता लगाया जा सकता है.

शेयर मार्केट में फाइनेंसियल रेशों (monetary ratios) ई पी एस (EPS) क्या है? इसके क्या उपयोग हैं? इसके कितने प्रकार हैं?इस्को कैसे उपयोग करते हैं हम जानेंगे.

ईपीएस (EPS) क्या है?

ईपीएस (EPS) का मतलब Incomes Per Share होता है, यह किसी कंपनी के एक शेयर की कितनी अर्निंग (Incomes) है यह बताता है. ईपीएस (EPS) रेशों यह बताता है कि कोई भी कंपनी एक निश्चित समयावधि (fastened time interval) में एक शेयर पर कितना प्रॉफिट/ मुनाफा कमा रहा है.

यदि आपके पास किसी कंपनी का एक शेयर है तो यह आपको 1 वर्ष में कितना पैसा कमा कर देता है यह हम ईपीएस (EPS) Ratio से पता लगा सकते हैं किसी भी शेयर का ईपीएस जितना ज्यादा होता है, कंपनी की स्थिति उतनी ही अच्छी होती है ऐसा अंदाजा लगाया जाता है.

ईपीएस (EPS) निकालने की विधि

ईपीएस (EPS) एक फार्मूले द्वारा निकाला जाता है यह फार्मूला इस प्रकार है

EPS = (Internet Revenue − Most well-liked Dividends) / Finish-of-Interval Widespread Shares Excellent

नेट इनकम -रेवेन्यू (income) में सभी खर्च निकालने के बाद, टैक्स और डिप्रेशिएशन(Taxes and Depreciation)/ मूल्यह्रास घटाने के बाद नेट इनकम(web revenue) की  गणना की जाती है.

इसमें से प्रेफर डिविडेंड (most well-liked dividend) इसलिए घटाया जाता है क्योंकि यह उन प्रेफरेंस शेयर होल्डर (choice share holder) को भुगतान किया जाता है जो प्रेफरेंस शेयर(choice share) के मालिक होते हैं

उदाहरण-

ABC Ltd.

Income₹1,00,000
Working Expenditure(₹60,000)
Working Revenue₹40,000
Curiosity(₹10,000)
EBIT₹30,000
Tax 30%(₹9,000)
Internet Revenue₹21,000

मान लेते हैं इस कंपनी  का Most well-liked Dividend ₹,1000 हैं और वर्ष के अंत पर कुल आउटस्टैंडिंग (

मान लेते हैं इस कंपनी  का Most well-liked Dividend ₹,1000 हैं और वर्ष के अंत पर कुल आउटस्टैंडिंग (excellent share) शेयर्स 2,000 हैं।

ABC Ltd का EPS होगा – (RS 21,000 – RS 1,000) ÷ 2,000 = 10

इस कंपनी का पिछले 1 साल का ईपीएस (EPS) ₹10 हैं इसका तात्पर्य यह है कि कंपनी पिछले एक साल में एक शेयर पर ₹10 कम आती है. इसी तरह से यदि इस कंपनी के 1000 share आपके पास है तो आप एक शेयर पर ₹10 कमाते हैं तो, आप 1 साल में 1000 * 10=10000 कमाएंगे.

परंतु यहां यह समझने वाली बात है की इसका अधिकार कंपनी के पास होता है, जिससे कि वह यह निर्णय ले सकती है कि यह पैसा कंपनी की ग्रोथ में लगाया जाए या शेरहोल्डर्स को डिविडेंड (dividend) के रूप में दिया जाए अधिकांश कंपनियां इसमें से कुछ हिस्सा डिविडेंड (dividend) के रूप में अपने शेयरधारकों को दे देती है और शेष अपने ग्रोथ में लगा देती है.

EPS (ईपीएस) और पी ई रेशों (PE ratio) का संबंध

किसी कंपनी के शेयर खरीदने से पहले उसका EPS (ईपीएस) और पी ई रेशों (PE ratio) जानना बहुत जरूरी होता है यह निवेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम है.

आइए एक उदाहरण से समझते हैं-

ऊपर बताए गए उदाहरण में ABC Ltd. कंपनी का EPS (ईपीएस) ₹10 निकालकर आ रहा है तो पी ई रेशों (PE Ratio) इस प्रकार होगा –

P/E Ratio = Present Share Value ÷ EPS

 P/E Ratio =  ₹200 ÷ 10 = 20 

यह ₹20 का PE Ratio हमें बताता हैं कि कंपनी अपनी अर्निंग (incomes) के मुकाबले 20 गुना मूल्य पर ट्रेड कर रही हैं।

यहां पर पी ई रेशों (PE Ratio) जस्टिफाइड है या नहीं इसके लिए हम समान सेक्टर (Sector) की अन्य कंपनी के पी ई रेशों (PE Ratio) से तुलना करके देख सकते हैं.

साथ ही कंपनी के सेक्टर(Sector) का कूल ओवरऑल पी ई रेशों (PE Ratio) से भी तुलना करके देख सकते हैं

यदि पी ई रेशों (PE Ratio) इन सभी से कम हैं तो कंपनी की स्थिति अच्छी हो सकती है. ऐसे शेयर में निवेशक (investor) अपनी रुचि अधिक रखते हैं.

मान लेते हैं कि ABC LTD, फार्मा सेक्टर (pharma sector) की कंपनी हैं और फार्मा सेक्टर (pharma sector) का P/E Ratio 25 हैं। यदि ABC LTD का P/E Ratio 20 हैं तो ये कंपनी अपने सेक्टर के मुकाबले कम P/E पर ट्रेड हो रही हैं। तो यहां P/E के अनुसार Shopping for की संभावना हैं।

EPS के प्रकार | Forms of EPS

EPS (अर्निंग पर शेयर) के निम्न प्रकार होते हैं-

1- ट्रेलिंग EPS (Trailing EPS) – यहां पिछले वर्ष के डाटा के आधार पर निकाला जाता है जो कि एक हिस्टोरिकल इपीएस है

जिससे कि हम कंपनी के पुराने इतिहास और डाटा का अनुमान लगाते हैं

2- करंट EPS (Present EPS)– यह ईपीएस चालू वित्त वर्ष में उपलब्ध डाटा की गणना करके निकाला जाता है जिससे कि हम इसके वर्तमान स्थिति का पता लगा सकते हैं

3- फॉरवर्ड ईपीएस (Ahead EPS) – इसकी गणना भविष्य के आधार पर की जाती है जोकि अनुमानों पर आधारित है

EPS का महत्व | Significance of EPS

किसी भी कंपनी के Share में निवेश करने के पूर्व EPS के बारे में जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है. किसी भी कंपनी का EPS लगातार बढ़ता है तो इससे यहां अनुमान लगाया जाता है कि कंपनी भविष्य में डिविडेंड (dividend) अच्छा देगी और कंपनी अच्छा मुनाफा (revenue) कमा रही है .

EPS की सहायता से अलग-अलग समान सेक्टर की कंपनियों के बीच में तुलना की जा सकती है जिससे निवेशक को निवेश करने में काफी ज्यादा सहायता मिलती है. 

PE रेशों और ईपीएस (EPS) की साथ में गणना करने से शेयर (Share) के वैल्यूएशन (Valuation) के बारे में पता लगाया जा सकता है शेयर सस्ता है या महंगा.

EPS (ईपीएस) शेयर से हम शेयर के हिस्टोरिकल डाटा (historic information) वर्तमान डाटा के आधार पर निवेश करने का डिसीजन (choice) ले सकते हैं.

ईपीएस (EPS) का प्रयोग कैसे करें?

ई पी एस (EPS) का प्रयोग केवल 1 वर्ष के आंकड़ों पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि ई पी एस (EPS) 1 साल में भ्रामक (misleading) आंकड़े दे सकता है.

EPS (ईपीएस) के सही प्रयोग के लिए कम से कम 3 से 5 वर्ष का हिस्टोरिकल डाटा (historic information) लेना चाहिए जिससे कंपनी के सही एवं सटीक स्थिति का पता लग सके क्योंकि जो कंपनियां लगातार अपना प्रॉफिट (revenue) बना रही हैं उनका EPS (ईपीएस) भी लगातार अनुपात में बढ़ता रहता है और वही कंपनियां अधिकांश निवेश के लिए सही मानी जाती है.

इसी प्रकार यदि कंपनी का ईपीएस रेशों घटता है तो वह कंपनियां निवेश के लिहाज से सही नहीं मानी जाती

EPS (ईपीएस) की लिमिटेशन (Limitation)

  • EPS (ईपीएस) को किसी भी कंपनी के शेयर (Share) को एनालिसिस (evaluation) करने के लिए बहुत ही अच्छा Ratio माना जाता है परंतु इसकी कुछ (Limitation) हैं जो कि हमें याद रखनी चाहिए.
  • कुछ कंपनियां अपने आंकड़ों के साथ निवेशकों को लुभाने के लिए छेड़छाड़ (Molestation) करती हैं जिससे EPS (ईपीएस) का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता, परंतु ऐसा करना लंबे समय मैं असंभव है. 
  • EPS (ईपीएस) मुद्रास्फीति (inflation) को ध्यान में नहीं रखता है जिससे यह गलत साबित हो सकता है इसलिए इसकी गणना करते समय इन्फ्लेशन (inflation) को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
  •  ईपीएस की गणना करते समय कैश फ्लो को ध्यान में नहीं रखा जाता है जोकि एक महत्वपूर्ण बिंदु है
  •  किसी भी लॉस मेकिंग कंपनी को उसके पीएससी नहीं आंका जा सकता हूं

निष्कर्ष-

किसी भी Share में  EPS  के आधार पर निवेश (Funding) का अंतिम निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि EPS (ईपीएस) कई बार सही साबित नहीं होता है, इसको अन्य तकनीकी विश्लेषण , फंडामेंटल विश्लेषण, इन्फ्लेशन और अन्य विश्लेषण ओं के साथ में लाया जाना चाहिए.