STP का फुल फॉर्म “सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान’ (stp full type in mutual fund “Systematic Switch Plan”) है. यह निवेश का एक तरीका है. एसटीपी (STP) “Systematic Switch Plan” एक ऐसी एसआईपी है जो एक म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम में ट्रांसफर की जाती है.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) एक बहुत ही कारगर तरीका है एसआईपी की तरह ही एसटीपी (STP) भी निवेश का एक तरीका है जिसमें एसआईपी (SIP) के माध्यम से Cash को एक म्यूचुअल फंड स्कीम (mutual fund scheme) से दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम मैं ट्रांसफर किया जाता है जिसकी एक निश्चित समय अवधि होती है.
यह समयावधि (time interval) फंड मैनेजर निर्धारित करते हैं. STP में ऐसा निवेश को के फायदे के लिए किया जाता है जिससे कि उन्हें अच्छे रिटर्न मिल सके.
STP कैसे काम करता है ? | How STP work in Hindi
जैसा कि STP सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान नाम से ही स्पष्ट है, यहां पर फंड को अलग-अलग समय अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट में ट्रांसफर किया जाता है. मान लीजिए आपके पास ₹1000000 का अमाउंट है, जिसे आप निवेश करना चाहते हैं बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए और सुरक्षित निवेश के लिए आप इसे एसटीपी (STP) में निवेश करते हैं. जब आप एसटीपी स्कीम (STP Scheme) लेते हैं तब यह निर्धारित करते हैं, की 50,000 इक्विटी फंड (fairness fund) में हर महीने ट्रांसफर होंगे.
अब आपके पास 9 लाख 50 डेट फंड में बचेंगे इसका मतलब यह हुआ आपकी एकमुश्त राशि जिसे आपने निवेश किया उसमें से ₹50000 हर महीने इक्विटी फंड में चले जाएंगे. जिससे आपको इक्विटी रिटर्न का फायदा मिलेगा और शेष बचे हुए डेट फंड से भी आपको रिटर्न प्राप्त होगा.
यह रिटर्न आपको तब तक मिलता रहेगा जब तक आपका पूरा डेट का पैसा इक्विटी फंड में नहीं चले जाता. इस ₹1000000 के फंड को इक्विटी फंड में ट्रांसफर होने में 20 माह का समय लगेगा जहां आपको अधिक मुनाफा होगा.
STP और SIP में कौन बेहतर है
एसटीपी (STP) और एसआईपी (SIP) दो अलग-अलग निवेश के तरीके हैं, SIP में कम पैसों के साथ हर महीने लंबे समय तक निवेश किया जाता है परंतु STP में एकमुश्त निवेश किया जाता है, जो धीरे धीरे एसआईपी (SIP) के माध्यम से अलग-अलग फंड में तब्दील (remodeled) होता है.
यहां पर निवेशक जो एकमुश्त (lump sum) निवेश करना चाहते हैं वे एसटीपी को चुन सकते हैं, जिन निवेशकों के पास एकमुश्त (lump sum) पैसा नहीं होता है वे एसआईपी को चुन सकते हैं.
SIP में लंबे समय तक निवेश करने पर कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है जिससे काफी अच्छा फायदा होता है.
STP के फायदे | Benefits of STP
- कम रिस्क :- जब कोई निवेशक लम सम अमाउंट किसी एक फंड में निवेश करता है तो वहां पर काफी ज्यादा रिस्क होता है परंतु एसटीपी (STP) में लम सम/ एकमुश्त पैसा निवेश करने पर रिस्क कम होता है. क्योंकि यहां पर निवेश किया गया पैसा धीरे धीरे फंड में निवेश किया जाता है बाकी बचा हुआ पैसा डेट के रूप में रहता है जिससे कि रिस्क कम और फायदा ज्यादा होता है.
- स्थिरता:- एसटीपी के जरिए जब कोई निवेशक निवेश करता है तो पैसा दो हिस्सों में बांट दिया जाता है एक हिस्सा इक्विटी फंड में निवेश कर दिया जाता है शेष बचा हुआ डेट फंड के तौर पर निवेश होता है जिससे एक स्थिरता बनी रहती है और स्थिर रिटर्न भी प्राप्त होते हैं.
- अधिक रिटर्न:- एसटीपी के द्वारा आप अधिक रिटर्न कमा सकते हैं क्योंकि यहां पर फंड को दो हिस्सों में बांट दिया जाता है और धीरे धीरे एसआईपी के माध्यम से निवेश किया जाता है जिससे डेट और इक्विटी दोनों का रिटर्न प्राप्त होता है.
- कॉस्ट एवरेजिंग का लाभ:- जब आप एसटीपी के माध्यम से निवेश करते हैं तो आपको म्यूचुअल फंड यूनिट दी जाती हैं जो एनएवी NAV के आधार पर दी जाती है जोकि म्यूचुअल फंड यूनिट का दाम आती है और यहां समय-समय पर परिवर्तनशील होती है एसटीपी के माध्यम से इसे एवरेज किया जाता है अर्थात यूनिट को हर महीने वर्तमान प्राइस पर लिया जाता है.
एसटीपी के प्रकार |Kinds of STP
एसटीपी सामान्य रूप से तीन प्रकार जो इस प्रकार है-
- फिक्स एसटीपी :- फिक्स एसटीपी में एक निश्चित धनराशि को एक बार में तय कर दिया जाता है उसके बाद इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता.
- फ्लैक्सिबल एसटीपी:- इस प्रकार के एसटीपी में निवेशक समय-समय पर स्वयं तय कर सकता है की वह फंड में कितना पैसा ट्रांसफर करना चाहता है.
- कैपिटल सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान:- कैपिटल सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान में जो पहली स्कीम होती हैं उसका कैपिटल गेन दूसरी स्कीम में ट्रांसफर कर दिया जाता है अर्थात यहां पर हर महीने का जो डेट फंड का रिटर्न होता है उसे दूसरे फ्रेंड में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
एसटीपी पर लगने वाला टैक्स |Tax on STP
STP में निवेश करते समय पैसा लिक्विड फंड या डेट फंड में रखा जाता है उसके बाद इस पैसे को रिडीम किया जाता है और अन्य फंड में ट्रांसफर किया जाता है तो इसे रिडीमशन माना जाता है, मतलब अब आपको रिडीमशन के प्रॉफिट पर टैक्स देना होगा.
डेट फंड में 3 साल होल्ड करने पर होने वाले प्रॉफिट को आई में जोड़कर टैक्स लगाया जाता है और यदि 3 साल से अधिक जाता है तो इसे लोंग टर्म कैपिटल गैन के अंतर्गत रखा जाएगा और 20% टैक्स लिया जाएगा.
STP में निवेश कैसे करें |Learn how to Put money into STP
STP में निवेश करने के लिए आप जिस फंड हाउस के अंतर्गत निवेश करना चाहते हैं. उस फंड हाउस की ऑफिशियल वेबसाइट या मोबाइल एप्लीकेशन पर जाकर अपनी सामान्य जानकारी व केवाईसी (KYC) करके, प्लान चुनकर STP प्रारंभ कर सकते हैं. इसके अलावा अपने नजदीकी म्यूचुअल फंड हाउस में जाकर एसटीपी फॉर्म भर कर निवेश चालू कर सकते हैं. इन दोनों प्रक्रिया में आपको स्कीम चुनना होगी और अपने इंस्टॉलमेंट की राशि के साथ में ट्रांसफर की अवधि की जानकारी भरना होगी.