Profit And Loss Statement क्या है? P&L Statement को कैसे पढ़े?

Jul 25, 2021
Profit And Loss Statement क्या हैProfit And Loss Statement क्या है

किसी भी वित्तीय संस्था के लिये उसके वित्तीय स्टेटमेंट काफी महत्वपूर्ण होते है। सामान्यतः वित्तीय स्टेटमेंट बनाना और इन्हे पढना एक अकाउंटिग बेग्राउंड वाला व्यकित ही कर सकता है। जो इन स्टेटमेंट मे कई प्रकार के स्टेटमेंट आते है जैसे Profit And Loss Statement, बैलेंश शीट, कैश फ्लो स्टेटमेंट आदि। इन सभी मे सबसे ज्यादा महत्वपुर्ण है Profit And Loss Statement, जिसे एक निवेशक के लिये पढना और समझना बहुत ही जरुरी है ताकि वह अपने निवेश संबंधि निर्णय ले सके।

प्राफिट एंड लॉस स्टेटमेंट क्या है ? What Is Profit And Loss Statement In Hindi

Profit And Loss Statement कम्पनी का लाभ या हानी खाता होता है जिसमे कम्पनी के सम्पूर्ण लाभ और हानी का रिकार्ड होता है। Profit And Loss Statement पढना फंडामेंटल एनालिसिस का एक बहुत अहम हिस्सा है। किसी भी कम्पनी के एक निश्चित समय मे किये गये सेल और उस सेल मे होने वाले खर्च को निकाले के बाद उस कम्पनी को कितना प्राफिट या लॉस हो रहा है, इसे ही Profit And Loss Statement कहा जाता है. कम्पनी के मुनाफे और नुकसान को जानने के लिये Profit And Loss Statement का विश्लेषण किया जाता है।

प्राफिट एंड लॉस स्टेटमेंट कुछ इस प्रकार दिखाई देता है। ( Maruti Suzuki India Ltd- Profit And Loss Statement)

Profit And Loss Statement क्या है
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प्राफिट एंड लॉस स्टेटमेंट को केसे पढे?

प्राफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (Profit And Loss Statement) को पढने के लिये एक निवेशक को ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नही है यहां पर इसे काफी आसान भाषा मे पढना बताया गया है जिससे की एक नान एकाउंट बेग्राउंड वाला व्यक्ति भी इसे आसानी से पढ कर समझ सकता है।

Profit And Loss Statement को हम 5 भागो मे विभाजित करते है जो इस प्रकार है

  1. Sales
  2. Expenses
  3. Operating Profit
  4. Profit Before Tax
  5. Net Profit

Sales

किसी भी कम्पनी द्वारा एक निर्धारित समय मे वह कितना माल या सेवा बेचती है उसे उस कम्पनी के सेल वाले भाग मे रखा जाता है। कम्पनीयां इन्हे हर माह या तीन माह या साल मे एक बार इन्हे अपडेट करते है और अपने रिकार्ड मे पब्लिश करते है।

सेल्स ग्रोथ – सेल्स ग्रोथ निश्चित समय (quarterly or yearly) मे सेल मे होने वाली वृद्धि है जो एक quarter से दुसरे quarter मे मापी जाती है और यह बढी है या घटी है । इसे सेल्स ग्रोथ वाले कॉलम मे प्रतिशत के रुप मे लिखा जाता है.

 Expenses

एक कम्पनी द्वारा किसी प्रोडक्ट को बनाने और उसे बाजार मे बेचने मे जो खर्च आते है उसे एक्सेंस वाले कॉलम मे दर्शाया जाता है। किसी प्रोडक्ट को बनाने मे कई सारे खर्च आते है जो इस प्रकार है

1. Material Cost: प्रोडक्ट को बनाने मे जो कच्छा माल खरिदा जाता है उसे इस कॉलम मे रखा जाता है।

2. Manufacturing Cost: जो कच्छा माल खरिदा जाता है उसे आदमी या मशिन द्वारा तैयार किया जाता है उसे मेनुफेक्चरिंग के अन्तर्गत रखा जाता है।

3. Employee Cost: कम्पनी मे काम कर रखे कर्मचारीयो के उपर जो खर्च आता है वह इस कालम मे रखा जाता है जैसे कर्मचारीयों का वेतन, उनके खाने के खार्च, वाहन का खर्च, उनकी टेनिंग का खर्च आदी

4. Other Cost: Legal Expenses, Office Expenses और कोई भी अन्य खर्च जो ऊपर बताई तीनो केटेगरी में ना आता हो उसे Other Expenses में लिखा जाता है।

Operating Profit

  • आपरेटिंग प्रोफिट मार्जीन – कम्पनी द्वारा जितनी सेल की हे उसेमे से उस माल को बेचने मे जो खर्च हुआ है उसे घटा कर जो राशि आती है उसे आपरेटिंग प्राफिट मार्जीन कहा जाता है। इसमे बाकी सभी खर्च जैसे टेक्स, उधार व अन्य खर्च  जुडे होते है।
  • Other Income – कम्पनी अपने मूल व्यापास के अलावा जिस बिजनेस या निवेश से पैसा कमाती है उसे अन्य इनकम मे रखा जाता है। इसमे निवेश , ब्याज आदि शामिल होता है।
  • Interest – कम्पनी द्वारा जो लोन लिये गये है उन लोग का ब्याज कम्पनी द्वारा भुगतान कर दिया गया है या नही वह इस कॉलम मे लिखा जाता है।
  • Depreciation – कम्पनी के जो एसेस्ट होते है उनका मुल्य हास होता रहता है, जो मुल्य हास होता है उसे कम्पनी के प्रॉफिट मे से कम घटा दिया जाता है।

Profit before Tax

कम्पनी को कारोबार करने के लिये उसे सरकार को कुछ फिस और टेक्स देना होता है जो वह समय समय पर चुकाती है। जब प्राफिट निकाला जाता है और टेक्स नही चुकाया जाता है तो इसे प्राफिट बिफोर टेक्स कहते है।

Tax Percentage – इस भाग मे कम्पनी द्वारा कुल कितना टेक्स दिया गया और कितना देना है वह इस भाग मे प्रतिशत के रुप मे लिखा जाता है।

Net Profit

नेट प्रोफिट कम्पनी का वह हिस्सा हे जो कम्पनी के पास सभी खर्च निकालने के बाद बचता है। इसे नेट प्रफिट कहते है। कम्पनी साल भर की सेल्स  से उसकी लागत, टैक्स आदि सभी खर्च घटा दिये जाते है। कम्पनी का उस साल का प्राफिट निकल जाता है।

Earnings Per Share

यह एक बहुत ही महत्वपुर्ण जानकारी है, इससे यह पता चलता है की उस कम्पनी का एक शेयर कितना लाभ कमाता है। क्योकि जिस कम्पनी का शेयर आप खरिदने वाले है उस कम्पनी के शेयर के बारे मे यह पता चल जाये की वह कितना लाभ कमाता है तो आपको निवेश करने मे काफी ज्यादा आसानी होगी। इससे हम कम्पनी के बारे मे भी पता लगा सकते है कि कम्पनी बाजार मे केसा परफार्म कर रही है।

Dividend Payout

कम्पनी अपने शेयर धारको को बिच – बिच मे डिविडेंट देती है, डिवीडेंट कम्पनी का अतिरिक्त लाभ होता है जो कम्पनी सामान्यतः अपनी वार्षीकी या अर्धवार्षीकी पर जारी करती है। यह हमेशा फेस वेल्यु पर दिया जाता है। कम्पनी ने साल मे किताना डिवीडेंट दिया है वह इस कालम मे लिखा जाता है।

प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट की कुछ महत्वपुर्ण बाते

प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट के द्वारा हम कम्पनी के बारे मे बहुत कुछ जान चुके है। इसके आधार पर हम यह अन्दाजा लगा सकते है कि कम्पनी के शेयर की प्राईस भविष्य मे क्या रहने वाली है। कम्पनी की ग्रोथ किस प्रकार हो रही है और केसी रहने वाली है।

प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट के द्वारा हम यह पता कर सकते है की कम्पनी को फायदा हो रह है या नुकसान, कम्पनी अपने प्राफिट से ज्यादा खर्च तो नही कर रही। कम्पनी की वित्तीय स्थिति केसी है। और भविष्य मे केसी हो सकती है।

कम्पनी के इंफ्रास्ट्रक्चर हमेशा बढते रहना चाहीये, कम्पनी का नेट प्राफिट, मेन पावर आदि सभी बढना कम्पनी की ग्रोथ और उसके भविष्य के लिये अच्छी मानी जाती है।

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