शेयर बाजार में निवेश करने के कई सारे तरीके है, जिसे अलग अलग निवेशक( investor) अपने हिसाब से चुनता है। सभी निवेशक अपने अनुसार खुद का तरीका चुनता है। एक छोटा निवेशक कम जोखिम वाला तरीका चुनता है तो बड़ा निवेशक केवल फायदा देखता है।
Institutional investor बडी पूंजी के साथ बाजार में होते है वे अपने अनुसार उनका तरीका चुनते है। कुछ निवेशक Value investment को चुनते है तो कुछ Growth investment को, कुछ लोग मोमेंटम स्टाइल को चुनते हैं आइए जानते हैं । कुछ महत्वपूर्ण इन्वेस्टिंग के तरीकों को
वैल्यू इन्वेस्टमेंट (Value investment)
शेयर मार्केट में अधिकतर लोग वैल्यू इन्वेस्टमेंट के (Value investment) तरीके से शेयर में निवेश करना पसंद करते हैं जो कि सभी इन्वेस्टमेंट स्टाइल से अलग है। इस प्रकार के इन्वेस्टमेंट में स्टॉक की कीमत कम होती है और कंपनी की स्थिति काफी मजबूत होती है। जब शेयर की कीमत अपने कंपनी की स्थिति के अनुसार चरम पर होती है तो शेयर धारक इन्हें बेच कर काफी मुनाफा कमाते हैं।
इस प्रकार के share की पहचान पी ई ( price earning ratio) कम होना इसकी पहचान है। Company का कैश फ्लो और इसका डिस्काउंटेड फ्यूचर earning कम होना भी इस का सूचक है। औसत से कम प्राइस बुक रेश्यो तथा डिविडेंड इल्ड भी अंडर वैल्यू शेयर की पहचान है। Value stock की गुणवत्ता भी बहुत जरूरी है इसके साथ ही कंपनी किस क्षेत्र की हैं और भविष्य में कंपनी से जुड़े उत्पाद की क्या मांगे इनका विश्लेषण करना भी ऑफिस जरूरी है।
Value investing के तरीके में निवेश के अच्छे परिणाम आने मैं समय लगता है। जो निवेशक लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करते हैं वह इस प्रकार के स्टॉक में निवेश करते हैं। क्योंकि वैल्यू स्टॉक के वास्तविक मूल्य आने में समय लगता है।
ग्रोथ इन्वेस्टमेंट (Growth stock)
ग्रोथ इनवेस्टिंग (Growth investing) स्टाइल मे उन शेयरो का चयन किया जाता है जिनका भविष्य मे ग्रोथ पोटेंशल (Growth potential) बहुत अधिक हो और तेजी से भाव बढने की संभावना हो। ऐसे स्टाक तेजी से बढते हुए सेक्टर की कम्पनीयो के शेयर होता है जैसे मान लिजीये वर्तमान मे इलेक्ट्रीक कार वाली कम्पनीयो के शेयर भविष्य मे आसमान छु सकते है ।
इस प्रकार के शेयर की पहचान निवेश कम्पनियो के छेत्र को देख कर सकते है। साथ ही कम्पनी अपनी साथी कम्पनी के मुकाबले अर्निग ग्रोथ (Arching growth) कितनी ज्यादा है। ग्राम कम्पनीयो का पहचान का एक तरिका यह भी है कि उनके बिक्री और मुनाफे (Sales and profits) के आंकडे काफी ज्यादा तेजी से बढते है।
इस कारण इन शेयरो मे निवेश करने से तेजी से मुनाफा होता है। यदि पुरा मर्केट निचे जा रहा है तो भी इन कम्पनीयो के शेयर पर कोई प्रभाव नही पढता है ये उसी गती से बढते रहते है। इस लिये निवेशक इन शेयरो को एक अलग नजरिये से देखते है और इनमे भारी मात्रा मे निवेश करते है। निवेशक इन शेयर के लिये भारी किमत भी देने के लिये तैयार रहते है ।
जैसे जिलेट व एम आर एफ के शेयर की किमत काफी ज्यादा होने के बाद भी निवेशक इनमे ज्यादा पेसा देकर भी निवेश करते है ओर भविष्य मे अच्छा लाभ कमाते है।
मोमेन्टम इनवेस्टमेंट स्टाइल (Momentum Investment Style)
इस प्रकार के शेयर काफी कम समय के लिये अच्छे मुवमेन्ट मे होत है जो कम समय मे अच्छा लाभ दे सकते है। जिन निवेशक को कम समय के लिये निवेश करना होता है वे इस प्रकार के शेयर मे निवेश करते है। इन शेयर का पीई रेशो काफी उंचा होता है । कुछ कम्पनीयो के शेयर मे अचानक से वृद्धि होती है और बाजार मे आशा से अधिक वृद्धी करने लगते हे। इस प्रकार की कम्पीयो मे किया गया इनवेस्टमेंट मोमेंटम इनवेस्टमेन्ट (Momentum Investment) कहलाता है। मोमेन्टम स्टाइल मे कम्पनी के फण्डामेन्टल नही देखे जाते जिस प्रकार ग्राथ स्टाइल व वेल्यु इनवेटिंग मे देखा जाता है।
डिविडेड यील्ड इनवेस्टमेंट स्टाइल (Divided Yield Investment Style)
इस प्रकार के निवेश स्टाइल मे शेयर की हाई डिविडेड यील्ड (Divided Yield) को ध्यान मे रखा जाता है। कुछ निवेशको का ऐसा मानना है कि हाई डिवीडेंड यील्ड (Divided Yield) वाले स्टाक अन्य स्टाक के मुकाबले अच्छे रिर्टन दे सकते है। इन स्टाक मे निवेश करने वाले लोग कम समय के लिये निवेश करते है ओर शेयर बेचकर बाजार से बाहर निकल जाते है।
यह स्टाइल लम्बे समय के निवेशको के लिये नही है। क्योकी लम्बे समय के लिये डिवीडेड यील्ड (Divided Yield) बनी रहेगी यह नही कहा जा सकता है। शेयर की कीमत ममे आया हुआ बदलाव डिवीडेड यील्ड के लाभ को महत्वहीन भी कर सकता है।
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