Inflation, मुद्रास्फीति (महंगाई) क्या है और इसे केसे कम किया जाता है

Jun 4, 2021
Inflation मुद्रास्फीति महंगाई क्या है और इसे केसे नियंत्रित किया जाता हैInflation मुद्रास्फीति महंगाई क्या है और इसे केसे नियंत्रित किया जाता है

समय के साथ विभिन्न माल और सेवा के मूल्य में होने वाली बढ़ोतरी को Inflation, मुद्रास्फीति या महंगाई कहा जाता है। जब महंगाई बढ़ती है तो हर वस्तु को खरीदने की शक्ति कम होती है। मुद्रास्फीति की दर अधिक होने से आम व्यक्ति के लिए नुकसानदायक होती है। जिस प्रकार मुद्रास्फीति बढ़ती हैं उस प्रकार से व्यक्ति की आय नहीं बढ़ती आए नहीं बढ़ती।

परिभाषा– जब उपभोक्ता द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं का और सेवाओं का दाम (मूल्य) बढ़ जाता है तो इसे मुद्रास्फीति या महंगाई कहते हैं। सामान्य शब्दों में बात की जाए तो इसे एक उदाहरण के तौर पर समझा जा सकता है, मान लीजिए वर्तमान मुद्रास्फीति 5% है, तो जो वस्तु पहले सो रुपए में मिलती थी वह 5% वृद्धि के साथ में ₹105 में मिलेगी।

कैसे मापा जाता है इन्फ्लेशन

इन्फ्लेशन (Inflation) या महंगाई दर नापने के लिए मुद्रास्फीति दर (inflation rate) से किया जाता है, यानी किसी 1 साल से दूसरे साल के बीच उस वस्तु के मूल्य में हुई वृद्धि से ज्ञात किया जाता है। मान लीजिए यदि 2020 में किसी वस्तु का मूल्य ₹100 था जो बढ़कर आज यानी 2021 में ₹200 हो गया तो मुद्रास्फीति 100 प्रतिशत बढ़ गई। मुद्रास्फीति दर (inflation rate) बढ़ने से जनता पर बुरा असर पड़ता है वह इसका सीधा जीवन स्तर पर प्रभाव पड़ता है।

इन्फ्लेशन(महंगाई) बढ़ने के कारण

मुद्रास्फीति या महंगाई कई कारणों से बढ़ सकती है जिसमें दो मुख्य कारक है मांग और मूल्य वृद्धि

मांग कारक

सामान्य तौर पर सरकारी व्यय बढ़ता है। जिससे कि जनता के हाथ में अधिक पैसा आ जाता है और वह इसे अपनी खरीदी छमता बढ़ाने में लगाती है। जिससे कि गैर योजना व्यय (unplanned expenditure) बढ़ जाता है। जोकि नई मांग में वृद्धि करता है। घाटे की पूर्ति और मुद्रा पूर्ति में वृद्धि से बड़े हुए सरकारी व की पूर्ति घाटे के बजट से और नई मुद्रा जारी की जाती है जो इन्फ्लेशन को बढ़ाता है।

मूल्य वृद्धि  कारक

  1. कई बार डिमांड सप्लाई (demand supply) के उतार-चढ़ाव के चलते जमाखोर सामान की जमाखोरी करते हैं और अधिक मुनाफा कमाने के लिए उनके मूल्य में वृद्धि कर देते हैं।
  2. उत्पादन इकाइयों में अधिक खर्च, मेन पावर के वेतन खर्च बढने पर मूल्य वृद्धि बढ़ जाती है। जिससे कि इन्फ्लेशन बढ़ता है।
  3. कर वृद्धि होने से वस्तुओं की कीमतें सीधे तौर पर बढ़ती हैं और अधिक दाम पर बाजार में बिकती है।

महंगाई(Inflation) किसे करती है प्रभावित

महंगाई कई लोगों को प्रभावित करती है इसके अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग प्रभाव होते हैं जो कि इस प्रकार है

  • Inflation बढ़ने से निवेशक कि आय में वृद्धि होती है और जो सरकारी सिक्योरिटी में निवेश करते हैं उन्हें किसी प्रकार का फायदा नहीं होता है।
  • Inflation बढ़ने पर सामान्य वर्ग के लोगों (जिनकी निश्चित आय होती है) उन पर बुरा असर पड़ता है। जिनकी Purchasing power कम हो जाती है और उनका जीवन स्तर गड़बड़ता है।
  • किसान और इससे जुड़े लोगों को फायदा होता है। क्योंकि जब वस्तुओं की कीमत बढ़ती है तो किसान का उत्पादन अधिक मूल्य पर बिकता है जिस से सीधे उसे फायदा होता है।
  • ऋण दाता को इससे नुकसान होता है क्योंकि जब वह किसी को उधार देता है तो उसका मूल्य अधिक होता है, परंतु इन्फ्लेशन बढ़ने के कारण उसके पैसों की कीमत कम हो जाती है।
  • Inflation बढ़ने से लोगों की बचत कम हो जाती है क्योंकि जब वस्तु के दाम बढ़ते हैं तो उनके लिए अधिक पैसा देना होता है जिससे कि बचत पर सीधा सीधा असर होता है।
  • Inflation बढ़ने के कारण सार्वजनिक करों में वृद्धि होती है
  • मुद्रास्फीति बढ़ने से व्यापारी वर्ग में जमाखोरी और लालच बढ़ जाता है वह पुराने दाम वाली वस्तुओं को जमा करके अधिक दाम में बेचना चाहते हैं।
  • उत्पादन इकाइयों को इससे लाभ होता है और मजदूरी में भी वृद्धि होती है

महंगाई(Inflation) को कम करने के उपाय

महंगाई को कम करने के लिए कई सारे उपाय है, जोकि इसे नियंत्रित कर सकते हैं और सरकार इन उपायों को अपनाती है। परंतु फिर भी महंगाई दर बढ़ती ही चली जाती है। आइए जानते हैं इन्फ्लेशन को नियंत्रित करने के उपाय.

  1. विमुद्रीकरण (demonetization)- यदि इन्फ्लेशन या मुद्रास्फीति को कम नहीं किया जा सकता तो इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार विमुद्रीकरण कर सकती है। इसमें सरकार पुरानी करेंसी को बदलकर नई करेंसी लाती है जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है।
  2. मुद्रा की मांग पर नियंत्रण (control over money demand) – मुद्रा की मांग को केंद्रीय बैंक (RBI) द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। यदि केंद्रीय बैंक मुद्रा की मात्रा पर नियंत्रण करें तो मुद्रास्फीति भी नियंत्रित हो सकती है।
  3. साख नियंत्रण (credit control)- बढ़ती हुई कीमतों पर काबू पाने के लिए केन्द्रीय बैंक साख को नियंत्रित कर सकती है। साख को नियत्रित करने के लिए केन्द्रीय बैंक परिमाणात्मक तथा गुणात्मक दोनों प्रकार के उपायों को प्रयोग में ला सकती है। इन उपायों के अन्तर्गत बैंक दर में वृद्धि, रेपो दर तथा रिवर्स रेपो दर में वृद्धि, न्यूनतम नकद कोष में वृद्धि प्रतिभूतियों को खुले बाजार में बेचना, साख की राशनिंग तथा सीमान्त आवश्यकता में वृद्धि कर सकता है।
  4. सार्वजनिक व्यय में कमी (reduction in public expenditure)- सार्वजनिक व्यय में कमी करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है।
  5. उत्पादन में वृद्धि (increase in production)-सभी क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाकर मूल्य को नियंत्रित किया जा सकता है और मुद्रास्फीति पर इसका सीधा असर होता है।
  6. कीमत नियंत्रण (price control) – सरकार कीमतों पर कड़ी निगरानी रखकर और कीमत नियंत्रित करके भी इंफेक्शन इन्फ्लेशन को नियंत्रित कर सकती है।

पिछले पांच सालो की महंगाई (Inflation ret) दर

YearInflation rate compared to previous year
20214.29 %
20206.2%
20194.76%
20183.43%
20173.6%
Source- Statista

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