शेयर, शेयर सर्टीफिकेट, सरकारी या अर्द्धशासकिय, गैर सरकारी बांड्स, डिबेंचर, म्यूचअल फण्ड यूनिट आदी जिसका कुछ आर्थीक मुल्य (economic value) हो वह सिक्योरिटी (security) कहलाती है। इसके अलावा ऐसा कोई भी दस्तावेज जो सरकार द्वारा प्रतिभूति के रुप मे मान्य हो।
डेब्ट इंस्ट्रूमेंट (Debt instrument)
जब कोई सरकारी,अर्द्ध शासकीय संस्था या कोई निजी कम्पनी किसी आर्थीक सहायता के लिये खुले बाजार से मदद लेना चाहती है तो वह बाण्ड या डिबेंचर (debentures) जारी करती है। सरकारी या अर्द्धशासकीय संस्थाओ द्वारा जारी डेब्ट इंस्ट्रूमेंट (Debt instrument) को बांड (bond) काहा जाता है तथा निजी कम्पनीयो द्वारा जारी डेब्ट इंस्ट्रूमेंट (Debt instrument) को डिबेंचर कहा जाता है।
डिबेंचर (Debenture)
यह एक तरह का बांड (bond) है जो उधारी की सबसे छोटी ईकाई है। कम्पनी उधार (loan) लेने के लिये एक निश्चित समय के लिये डिबेंचर (debentures) सर्टीफिकेट जारी करती है। इस निश्चित समय के बाद निवेशक को उसके मूल धन के साथ ब्याज (Interest) मिल जाता है। मार्केट के उतार चढाव से डिबेंचर (debentures) को कोई फर्क नही पडता है।
जीरो कूपन बांड (Zero Coupon Bonds)
यह बगेर ब्याज के दस्तावेज (documents without interest) होते है। जो फेस वेल्यु (face value) से बडे डिस्काउंट पर जारी किए जाते है और निवेशक जब इसे भुनाना (redeem) चाहे तो एट पार (atpar)पर इसे भुना सकता है
फ्लोटिंग रेट बॉन्ड (Floating rate bond)
इसे फ्लेसीबल ब्याज (flexible interest) दर के साथ जारी किया जाता है। जिसकी न्यूनतम और अधिकतम सिमा तय होती है।
डेटेड सिक्योरिटी (Dated security)
इसमे डिबेंचर (debentures) की तरह निश्चित ब्याज दर (Rate of interest) और परिपक्वता (maturity) की समय सीमा पहले से ही तय होती है।
कैपिटल इंडेक्स फंड बांड (Capital Index Fund Bonds) –यहां ब्याज की दर थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर तय होती है।
काॅल/पुट आप्शन बांड (Call / put option bond)
यहां निवेशक के पास यह आजादी होती है कि वह सरकार के बांड को बेच भी सकता है और वापस खरीद भी सकता है। निवेशक खरीद या बिक्री रिडेंपशन (redemption) से पहले भी की जा सकती है।
सरकारी प्रतिभूतियों मे निवेश केसे करे (How to invest in government securities)
यदि आप शेयर मार्केट के जोखीम (risk) से डरते हो और आपको आपना धन सुरक्षीत (safe) रखना है तो आप सरकारी प्रतिभूतियो (securities) मे निवेश कर सकते है ये एक अच्छा विकल्प है। क्योकी निवेश के इस विकल्प मे आपको अच्छे रिर्टन के साथ लिक्विडिटी (liquidity) भी मिलती है।
सरकारी प्रतिभूतियो मे निवेश करने के लिये आपको शेयर बाजार की तरह ही डीमैट खाता (demat account) चाहीये होता है यदि आपके पास शेयर बाजार का डीमैट खाता (demat account) है तो भी यह चलेगा। सरकारी प्रतिभूती आप द्वितीयक बाजार (secondary market) से खरिद सकते है। आप सिधे बैंक या ब्रोकर से भी इन्हे खरिद सकते हे।
G-sec
सरकारी प्रतिभूतियां जी-सेक और सावरेन डेट (sovereign date) के नाम से भी प्रचलित है। इन्हे निश्चित आय वाले विकल्पो में सुरक्षित माना जाता है। क्योंकि इसकी गारंटी(Guarantee) सरकार देती है। निवेशक बाजार से जुडी ब्याज दरो पर कभी भी इस निवेश मे प्रवेश कर सकता है। और बाहर आ सकता है।
एक तो इसके रिटर्न के स्रोत पर कर कटौती नही की जाती दूसरा 80 एल के तकह भी इसमें कर लाभ का प्रावधान है। निवेशक बैंक से कर्ज लेते वक्त जी-सेक (G-sec) को गिरवी भी रख सकता है।
जी-सेक (G-sec) बांड की तरह ही होता है जिसकी सेकंडरी मार्केट में किमत परिपक्वता की अवधि और मौजूदा ब्याज दरों (interest rates) पर आधारित है । ठीक वैसा ही इसके साथ भी है इस लिये निवेशक अपनी नगदी (cash) की जरुरत के अनुसार परिपक्वता होने वाली प्रतिभूमियों मे निवेश करें।
जी-सेक 3 महिने से लेकर 30 वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध होते है। यदि रिर्जव बैंक ब्याज (Interest ret) दरो मे बढोतरी या कटोती करता है तो वह इससे मिलने वाले रिर्टन को प्रभावित करता है।
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