किसी भी शेयर में पैसा लगाने से पहले उस शहर के फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) करना बहुत ही जरूरी होता है । क्योंकि जब भी कोई निवेशक अपना पैसा शेयर खरीदने में लगाता है तो वह अच्छे रिटर्न की आशा करता है । शेयर के फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) करने के लिए उस कंपनी के और सेक्टर के कई सारे कारकों (Factors) का विश्लेषण करना पड़ता है जैसे कि कंपनी के बैलेंस शीट, उसके प्रॉफिट लॉस अकाउंट, उसमें कैश फ्लो और अन्य कई सारे फैक्टर होते है।
कंपनी का लाभ हानि खाता (Company Profit Loss Account)
कंपनी के लाभ हानि खाते (Profit and loss account) पर एक नजर डालने से उसके शेयर के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है की कंपनी के शेयर बढ़ेंगे या नहीं । कंपनी के प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट (Profit and loss account) से उसके इनकम और एक्सपेंडिचर्स (Income and Expenditures) का पता है लगाया जा सकता है इसमें कंपनी द्वारा अर्जीत आय जिसे की कोर इनकम कहते हैं वह दर्ज होती है। और अन्य आए जो स्क्रेप की बिक्री ,जमीन की बिक्री, अन्य संपत्ति सिक्योरिटी आदि द्वारा जो अर्जित की जाती है वह भी इसमें दर्ज होता है।
दूसरी तरफ एक्सपेंडिचर (expenditure) का हिस्सा दर्ज होता है जोकि कंपनी द्वारा किए गए खर्च जैसे कि उसके कच्चे माल को खरीदने के लिए उसके इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उसके मैन पावर के लिए आदि जो खर्च होता है वह इसमें दर्ज होता है।
एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जिसे डिप्रेशिएशन (Depreciation) कहते हैं कंपनी की संपत्ति के मूल्य में समय के साथ में जो गिरावट आई है उसे डिप्रेशिएशन कहते हैं कंपनी के लाभ वाले हिस्से में से इसे अलग कर दिया जाता है मतलब यह भी एक प्रकार का खर्च है जो कि इस हिस्से में दर्ज किया जाता है।
बैलेंस शीट (Balance sheet)
किसी कंपनी की बैलेंस शीट (Balance sheet) उस कंपनी की आर्थिक स्थिति दर्शाती है जोकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में अंत में तैयार की जाती है । बैलेंस शीट (Balance sheet) पर पूरे साल में किया गया वित्तीय लेखा जोखा होता है जोकि दो भागों में दर्ज होता है । बैलेंस शीट के दो हिस्से जोकि देनदारी (Liability) और संपत्ति (Assets) होते हैं ।
कंपनी के देनदारी वाले हिस्से में शेयर कैपिटल , रिजर्व ,सर प्लस, कंपनी द्वारा लिए गए लोन और जो करंट लायबिलिटीज (Liability) होती है वह इसमे में दर्ज किया जाता है।
बैलेंस शीट के दूसरे हिस्से में Assets जैसे कि कंपनी की जमीन, कंपनी की बिल्डिंग, कंपनी के प्लांट मशीनरी आदि दर्ज किए जाते हैं इसके अलावा कंपनी के पास वर्तमान में जो कच्चा माल होता है वह भी इस कॉलम में दर्ज किया जाता है । इस प्रकार पहले सीट पर नजर डालने से उस कंपनी की वित्तीय स्थिति की जानकारी मिलती है और निवेशक इससे अपने निर्णय ले सकते हैं ।
देनदारी (Liability) | संपत्ति (assets) |
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शेयर केपिटल | स्थाई सम्पत्ति |
रिजर्व एण्ड सरप्लस | निवेश |
उधारी (सिक्योर लोन), (अनसिक्योर लोन) | तात्कालिक सम्पत्ति |
करेंट लाइबिलिटी | नगद और बैंक मे जाम पुंजी |
शेयर कैपिटल (Share capital)
शेयर कैपिटल व पुंजी होती है जिसे शेयर धारक शेयर प्राप्त करने के बदले कंपनी को चुकाता है इसमें जारी किए गए शेयर की संख्या लिखी जाती है ।
उधारी (Borrowing)
उधारी बैलेंस शीट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें की कंपनी द्वारा समय-समय पर लिए गए सिक्योर एवं अन सिक्योर (Secure and Un Secure)लोन को दर्ज करती है जिसके बदले कंपनी को सिक्योरिटी के तौर पर ऐसैट्स की गारंटी देना होती है। फण्डामेन्टल एनालिसिस (Fundamental analysis) की दृष्टि से कम्पनी के लोन को देखना काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है । यदि कम्पनी क उपर काफी ज्यादा लोन है तो उस कम्पनी मे निवेश करने से बचना चाहीये।
करंट लायबिलिटीज (Current liabilities)
कंपनी की वह देनदारियों जो कि अभी कुछ समय मैं देना होती है वह तत्कालिक देनदारी (Current liabilities) कहलाती है जैसे कि खरीदे गए कच्चे माल के लिए जो पैसा चुकाना होता है इसमें कई आंकड़े शेयर निवेशकों के लिए विश्लेषण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
स्थाई संपत्ति (Assets)
कंपनी की स्थाई संपत्ति जैसे की जमीन बिल्डिंग मशीनरी प्लांट आदि जिस पर कंपनी का मालिकाना हक होता है उसका मूल्य दर्ज किया जाता है यह सभी कंपनी के खाते में दर्ज होती है जिसका लाभ कंपनी को लंबे समय तक मिलता है।
स्थाई संपत्ति पर कंपनी एक बार खर्च करती है और उसे लंबे समय तक चलाती है जिससे कि उस पर बार-बार खर्च ना करना पड़े और कंपनी को अधिक खर्च का सामना ना करना पड़े। इसका एक अच्छा उदाहरण डी मार्ट हो सकता है जोकि अपने रिटेल शोरूम को खुद खरीद कर बना लेता है जिससे कि उसको लंबे समय के लिए उस उस जमीन पर किसी प्रकार का कोई किराया या टैक्स ना देना पड़े ।
निवेश (Investment)
कंपनी के द्वारा अपनी छोटी कंपनियों में किया गया निवेश इस कॉलम में दर्ज होता है। इसके अतिरिक्त कंपनी निवेश की दृष्टि से और रणनीतिक तौर पर अन्य कंपनियों में भी निवेश करती है । इसके अलावा जिन कंपनियों के पास अतिरिक्त पैसा होता है वह अपने नए प्रोजेक्ट में निवेश करती है और कुछ म्यूच्यूअल फंड्स (Mutual Funds) में भी निवेश करती है। जिसको कि समय आने पर निकाल लिया जाता है।
करंट असेट्स (Current assets)
इस मद में कंपनी के पास जो कच्चा माल स्टाक होता है और जो छोटे देनदार जिन्हें कम समय में पैसा देना होता है वह करंट असेट्स के कॉलम में आते हैं। वर्तमान सम्पत्ति एक बेलेस सिट का अईटम है जो सभी परिसम्पत्तियो के मुल्य का प्रतिनिधित्व करता है जिसे की एक वर्ष के भितर नगदी मे बदल दिया जाता है।
नगद और बैंक में जमा (Cash and bank deposits)
इस श्रेणी के तहत कंपनी के नाम जो पैसा बैंक में जमा होता है और अन्य दूसरे नगद के साधन होते हैं जो कि कंपनी के संचालन के दौरान उपयोग किए जाते हैं।
कैश फ्लो स्टेटमेंट (Cash flow statement)
कैश फ्लो स्टेटमेंट(Cash flow statement) शेयर के विश्लेषण (Analysis) करने के दौरान काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इस स्टेटमेंट से पता चलता है कि कंपनी के पास कहां से पैसा आ रहा है और कहां जा रहा है । जो निवेशक कंपनी के कैश फ्लो स्टेटमेंट (Cash flow statement) को समझ जाते हैं वे कंपनी के स्थिति के बारे में बहुत कुछ अंदाजा लगा सकते हैं जिनसे की उनके निवेश करने में काफी आसानी होती है।
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