कई सारे लोगो को म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) को लेकर बहुत से मिथक है। जिसके चलते वे म्यूच्युअल फण्ड का लाभ नही उठा पाते या इसमे निवेश करने से डरते है। म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) के इन सभी मिथक के बारे मे हम डिटेल से जानेंगे। और आप आने वाले समय मे म्यूच्युअल फण्ड का फायदा उठा सके। म्यूच्युअल फण्ड मे निवेश करने से पहले इन सभी मिथक के बारे मे जानना भी जरुरी है ताकि किसी प्रकार का भ्रम ना रहे और आप बेफिक्र होकर म्यूच्युअल फण्ड मे निवेश कर सके।
मिथक 1 – म्यूच्युअल फण्ड सिर्फ उन्ही के लिये है जो स्टाक मार्केट मे निवेश करते है।
म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) एक सुरक्षित निवेश का तरिका है। यह एक भ्रांती (misconception) है कि जो शेयर बाजार मे निवेश करते है यह केवल उन्ही के लिये है। बल्की म्यूच्युअल फण्ड मे तो एक सामान्य व्यक्ति जो 500 रुपये से निवश कर सकता है उसके लिये भी फायदेमंद है। म्यूच्युअल फण्ड मेनेजर धन को डेट मार्केट instrument सरकारी प्रतिभुतियों आदि मे निवेश करते है।
म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) मेनेजर काफी ज्यादा अनुभवी ओर एक्सपर्ट होते है जो कि धन को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित व ज्यादा रिर्टन देने वाली जगह पर निवेश किया जाता है। म्यूच्युअल फण्ड मे हर कोई निवेश कर सकता है। इसके लिये किसी प्रकार तकनिकी ज्ञान की भी आवश्यकता नही होती है। सभी के लिये म्यूच्युअल फण्ड सही है।
मिथक 2 – कम नेट असेट वैल्यू की स्कीम खरीदना फायदेमंद होता है
म्यूच्युअल फण्ड की किसी स्कीम का प्रदर्शन उसके नेट असेट वैल्यू से झलकता है। अर्थात यह मायने नही रखता की आप कम नेट असेट वाल स्कीम मे निवेश करे या ज्यादा नेट असेट वैल्यू वाली स्कीम मे। निवेश से पहले आपको उस फण्ड के अन्य पहलु पर ध्यान देना चाहीये ना की एनवी पर। आपको म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) मे निवेश से पहले उसके ट्रेक रिकार्ड फंड प्रबंधन फण्ड का उतार चढाव उसके फण्ड मेनेजर पोर्टफोलियो आदि पर ध्यान देना चाहीये।
मिथक 3 – पुरानी स्कीमो की तुलना मे न्यू फण्ड आफर अच्छे होते है
यह बात बिल्कुल सही नही है कि पुरानी स्कीम अच्छी नही होती बल्की जिन स्कीमो का रिकार्ड अच्छा होता है वे बैहतर साबीत होती है। आपको फण्ड मे निवेश से पहले एक लंबे और अच्छे ट्रेक रिकार्ड (Track record) वाली स्कीम को चुनना चाहीये।
मिथक 4 – लाभांश की घोषणा के समय फण्ड खरीदना चाहीये
फण्ड का प्रदर्शन उसके एनवी के बढने या घटने के मात्रा पर निर्भर करता है और उसके हिसाब से मुल्यांकित होता है नाकि लाभांश के भुगतान पर । आमतौर पर लाभांश का भुगतान संचित लाभ से होता है। लाभांश की घोषणा नही होने पर वह एनएवी मे वृद्धि के रुप मे दिखाई देता है।
मिथक 5 – म्यूच्युअल फण्ड मे निवेश समय देख कर करना चाहीये
यह बात बिल्कुल उसी प्रकार है जिस प्रकार एक मुहावरा अब क्या होय पछताय जब चिडीया चुग गई खेत। परंतु जब निवेश की बात आती है तो निवेश आपको समय देख कर नही बल्की फण्डामेन्टल देख कर करना चाहीये। बहुत से लोग कहते हेे यह समय सही नही है वह समय सही नही है।
परतु विशेषज्ञो का मानना है कि निवेश का कोई समय नही होता है। आप जब चाहे निवेश कर सकते है। बस आपके पास निवेश करने के लिये धन और लक्ष्य होना चाहीये। आप अपने लक्ष्य के अनुसार निवेश अवधि चुने और आज से ही अपने बचत के पैसो को निवेश करना चालु करे।
मिथक 6- अधिक एनवी वाले फण्ड रिडीम करांए और कम एनवी वाली स्कीम मे निवेश करे
कई सारे लोग म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) को शेयर मार्केट जैसा समझते है जिससे वे ये गलती करते है। कुछ लोग एनवी प्रतिशत मे कुछ वृद्धि होने पर फण्ड छोड देते है परंतु ऐसा नही करना चाहीये क्योकी यह केवल फण्ड मे अंतर्निहित परिसम्पत्तियों के बाजार मुल्य में युनिटो की संख्या का भाग है। इस लिये रिडीमपशन का मुख्य कारक एनवी मूल्य नही है बल्कि फण्ड की प्रतिशत आय, प्रदर्शन, अस्थिरता, जोखिम आदि होते हे.
मिथक 7- फण्ड का प्रदर्शन सिधे स्टाक मार्केट से संबंधित है
यह जरुरी नही है। केवल इक्विटी (equity) फण्ड स्कीम ही सामान्यतौर पर 30-40 स्टाक मे निवेश करता है। और बाकि निवेश अन्य सुरक्षित इन्ट्रुमेंट मे होता है। कई बार जब बाजार मंदी के दोर मे होता है तो भी म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) काफी अच्छे रिर्टन देता है। फण्ड के मैनेजर समय-समय पर फण्ड का आंकलन करते है और धन को रिस्क के अनुसार सिफ्ट करते है जिससे निवेशको को अच्छा लाभ मिल सके। सामान्यतः सभी फण्ड डायवर्सीफाइड होने है।
मिथक 8- इक्विटी मार्केट की हलचल से डेट फण्ड भी प्रभावित होतो है
यह बात सरासर गलत है। क्योकी डेट फण्ड शेयर मार्केट मे निवेश नही करते जिससे शेयर मार्केट मे हलचल होने पर इनपर कोई प्रभाव नही पढता है। डेट फण्ड सरकारी प्रतिभुति, बाॅड्स, डिबेंचर्स, जैसे फिक्स आय वाले इंस्ट्रुमेंट मे निवेश करते है। जिसमे की रिस्क ना के बराबर होता है और एक निश्चित आय मिलती रहती हे।
मिथक 9- म्यूच्युअल फण्ड निवेश सिर्फ युवाओं के लियेे है
ऐना नही है । म्यूच्युअल फण्ड मे हर कोई निवेश कर सकता है और कम से कम धन मे भी निवेश कर सकता है। सामान्यतः उम्र बडने के साथ मे अधिक पैसो की जरुरत होती है इस लिये जितना जल्द हो उतना जल्द निवेश करना चाहीये। आप जिस उम्र के पडाव पर है उस उम्र मे निवेश चालु कर देना चाहीये। म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) स्कीम अलग-अलग समय सीमा के अनुसार चुनना बेहतर है। उम्र केवल जोखिम उठाने की छमता का एक कारक है क्योकि युवा ज्यादा जोखिम उठा सकते है।
मिथक 10- लाभांश भुगतान या ग्रोथ विकल्प का चुनाव सभी फण्ड में एक समान है
जब कोई भी निवेशक लाभांश विकल्प चुनता है तो वह समय-समय पर लाभांश घोषणा के समय फण्ड द्वारा अर्जित नकदी प्राप्त करता है। परंतु जब वह ग्रोथ फण्ड का चुनाव करता है तो वह नेट असेट वैल्यू के रुप मे अपने धन को बढाता है। सामान्यतः सभी को अपने लक्ष्य के अनुसार ग्रोथ फण्ड को चुनना चाहीये।
मिथक 11- म्यूच्युअल फण्ड में निवेश करने पर कर ऐजेन्सीयां आप पर नजर रखेगी
म्यूच्युअल फण्ड मे निवेश करने पर आप सामान्यतः टैक्स डिपार्टमेंन्ट के अन्र्तगत आते है परंतु वह आप पर नजर नही रखता है। यदि आपका निवेश 2 लाख या इससे अधिक है तो केवल यह एन्युअल इंफोर्मेशन रिपोर्ट के माध्यम से सूचित किया जाता है। बाकि आपके उपर या आपकी संपत्तियों के उपर किसी प्राकर की कोई नजर नही रखी जाती।
मिथक 12- शेयर मार्केट मे निवेश की तुलना म्यूच्युअल फण्ड निवेश ज्यादा जोखिम भरे होते है
सामान्यतः म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) कम जोखिम वाले होते है क्योकी अनुभवी फण्ड मेनेजर इन्हे मैनेज करते है। और ये पोर्टफोलियो केा डायवर्सीफाई रखते है जिससे की जोखिम बिल्कुुल ना हो। फण्ड मैनेजर कई सारी सिक्योरिटी मे निवेश करते है जिसमे सरकारी प्रतिभूति, बाण्ड, डिबेंचर, और इक्विटी आदि। इस कारण म्यूच्युअल फण्ड कम जोखिमभरा होता है।
मिथक 13- सभी एनएवी लिंक्ड उत्पाद बहुत अस्थिर होते है
एनएवी कुछ और नही बल्की मैनेजमेंट फीस जैसे सभी खर्च घटाने के बाद फंड में अंतर्निहित प्रतिभूतियों का शु़द्ध मूल्य है। एन वी फण्ड के यूनिट मूल्य का संकेत देता है। एनवी का कान्सेप्ट म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) की पारदर्शिता को बढाता है। फण्ड की जोखिम अस्थिरता निवेश जैसे इक्विटी,डेट, गोल्ड आदि पर निर्भर करता है।
मिथक 14 – गोल्ड फण्ड मे निवेश के बजाय भोतिक सोने मे निवेश करना ज्यादा सुरक्षित
यह बात बिल्कुल गलत है कि भोतिक सौने मे निवेश करना चाहीये। भौतिक सौने मे निवेश अधिक टेक्स खर्चीला और जोखिम भरा होता है। परंतु गोल्ड फण्ड मे निवेश ईटीएफ के जरिए सोने मे किया जाता है। जिसमे टेक्स खर्च ना के बराबर होता है ओर चिंता की कोई बात नही होती।
मिथक 15 – म्यूच्युअल फण्ड मे आनलाइन ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नही है
सभी फण्ड हाउस की वेबसाईट एस एस एल सर्टीफाईड होती है और इनपर जितने भी नेट बैंकिग व आनलाइन ट्रांजेक्सन होते है वे सभी सरक्षित होते है। आपके द्वारा प्रदाय ट्रांजेेक्सन डिटेल डेटा एनक्रिप्टेड होती है। निवेशक को केवल यह ध्यान रखना चाहीये की वे फण्ड हाउस की आफीसियल साईट पर जाकर ही ट्रांजेक्स करे।
मिथक 16 – म्यूच्युअल फण्ड निवेशो को सिक्युरिटी के रुप मे प्लेज नही किया जा सकता
म्यूच्युअल फण्ड युनिट को आप अपने बैंक या किसी फाइनेंस संस्था के पास प्लेज रख कर ऋण ले सकते है। ऐना करने के लिये आपको एक ग्रहणाधिकार चिन्हीत करना पडता है जिससे की ऋण देने वाला संस्थान आपके ऋण भुगतान ना करने पर बिक्री का अधिकार होता है।
मिथक 17 – निवेश का ट्रेक रखना मुश्किल होता है
म्यूच्युअल फण्ड मे निवेश करना काफी आसान ओर निवेश का ट्रेक रिकार्ड रखना काफी आसान होता है। जब भी आप निवेश करते है तो आपको आपके सभी लेन देन का रिकार्ड आपके मोबाईल और आपके ईमेल पर तुरंत मिल जाता है। जब आप एस आई पी करते है, रिडीम करते है, लाभांश का भुगतान प्राप्त करते है सभी का रिकार्ड आपको तुरंत मिल जाता है। और अब तो समय के साथ मोबाईल ऐप के माध्य से आप हर वक्त अपने निवेश पर नजर रख सकते है।
मिथक 18 – उच्च प्रदर्शन करने वाले फण्ड मे निवेश करना सफलता की गारंटी है
ऐसा जरुरी नही है, जब भी आप निवेश करे तो उस फण्ड का ट्रेक रिकार्ड जरुर देखे हो सके तो एक्सपर्ट की राय ले। सामान्यतः अलग-अलग म्यूच्युअल फण्ड अलग-अलग उद्धेश्यो के लिये बने होेते है निवेश से पहले अपने लक्ष्य निर्धारित करे और अपने जोखिम उठाने की छमता के अनुसार निवेश करे
मिथक 19- सभी म्यूच्युअल फण्ड मे लाॅक इन अवधि होती है
सभी स्कीम मे लाॅक इन अवधि नही होती है। ओपन फण्ड मे आप कभी भी अपना धन निकाल सकते है छुटटी के दिनो को छोड कर। कुछ फण्ड मे मैच्योरिटी प्लान होता है जिसमे की एक निश्चित समय के बाद ही आप अपना पैसा निकाल सकते है। लाॅकइन स्कीम म्यूच्युअल फण्ड (mutual fund) आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के अन्तर्गत कर कटोती हेतु पात्र इक्विीटी, लिंक्ड सेविंग्स स्कीम मे तीन साल की लाॅक इन अवधि होती है। यहां पर पहले साल निवेशक को फ्लेक्सिब्लीटी दी जाती है।
मिथक 20- बाजार मे तेजी होने पर म्यूच्युअल फण्ड बेच दे
यदि आपने बडे लक्ष्य के लिये निवेश किया है तो आप अपना निवेश दिर्घकाल के लिये बानाये रखे। और यदि आपका पोर्टफोलियो काफी ज्यादा ही मुनाफा दे रहा है और उंचा चला गया है तो उसके से कुछ हिस्सा बेच कर अपने उद्धेश्यो की पुर्ती कर लेना चाहीये।