ट्रेडिंग वॉल्यूम(trading volume) क्या है इसका विश्लेषण (analysis) कैसे किया जाता है

Jun 7, 2021
ट्रेडिंग वॉल्यूम(trading volume) क्या है इसका विश्लेषण (analysis) कैसे किया जाता हैट्रेडिंग वॉल्यूम(trading volume) क्या है इसका विश्लेषण (analysis) कैसे किया जाता है

शेयर बाजार में शेयर के ट्रेंडिंग वॉल्यूम (trending volume) का काफी ज्यादा अहम रोल होता है। जिससे कि निवेशक अपने निवेश की रणनीतियां (Strategies) बनाते हैं। ट्रेंडिंग वॉल्यूम हाय, लो या नॉर्मल होता है। इसे देखकर ही निवेशक अपना निर्णय लेते हैं।  हम जानेंगे कि ट्रेंडिंग वॉल्यूम शेयर बाजार में किस प्रकार काम करता है और निवेशक इसका विश्लेषण (Analysis) किस प्रकार से कर सकते हैं, जिससे कि उन्हें फायदा हो सके।

ट्रेडिंग वॉल्यूम(trading volume) क्या है

शेयर बाजार में ट्रेंडिंग वॉल्यूम वह संख्या होती है, जो एक निश्चित समय में खरीदे एवं बेचे गए शेयरों की संख्या है। ट्रेंडिंग वॉल्यूम 5 मिनट से लेकर 5 साल तक कैलकुलेट किया जाता है, और निवेशक अपनी निवेश अवधि के अनुसार इसका एनालिसिस करते हैं।

चार्ट पर वॉल्यूम कैसे देखें

शेयर बाजार में आप वॉल्यूम (Volume) को कैंडल या बार की सहायता से देख सकते हैं। जो भी Chart आप उपयोग कर रहे हैं उस चार्ट मैं आप अपने हिसाब से समय चुनकर, उस समय के अंतराल (time interval) के ट्रेंडिंग वॉल्यूम का पता लगा सकते हैं। सामान्यता जब अधिक खरीदी होती है तो कैंडल ग्रीन होती है और यदि अत्यधिक मात्रा में शेयर की बिक्री होती है तो कैंडल लाल होती है। यह कैंडल आपके चुने गए समय के अनुसार बनती है।निवेशक कैंडल का मूविंग एवरेज के साथ में उपयोग कर सकते हैं और अपने निवेश की रणनीति बना सकते हैं।

वॉल्यूम टेबल

केवल वॉल्यूम (Volume) को देखा जाए और उसके साथ जुड़े अन्य पहलुओं को ध्यान नहीं दिया जाए, तो वॉल्यूम (Volume) का कोई मतलब नहीं रह जाता और ना ही इससे कोई निर्णय लिया जा सकता है। परंतु यदि वॉल्यूम (Volume) के साथ में शेयर के अन्य पहलू पर जैसे कि उसकी कीमत का बढ़ना, उसकी कीमत का घटना पर ध्यान दिया जाए, तो यह वॉल्यूम के साथ में काफी अच्छे परिणाम दे सकते हैं। आइए एक टेबल की मदद से जानते हैं कि किस प्रकार वॉल्यूम और कीमत के साथ अपना निर्णय लें।

क्रम संकीमतवॉल्यूमआगे की उम्मीद
1बढ़तबढ़तबुलिश
2बढ़तगिरावटसावधान-खरीदारी में दम नहीं
3गिरावटबढ़तबेयरिश
4गिरावटगिरावटसावधान-बिकवाली में दम नहीं

वॉल्यूम कैसे काम करता है?

वॉल्यूम शेयर बाजार में एक विशेष समय में खरीदे एवं बेचे गए शेयर की संख्या होता है जो कि सीधा लिक्विडिटी (liquidity) को दर्शाता है। सभी एक्सचेंज वॉल्यूम को एक दिन के हिसाब से कैलकुलेट करते हैं। वॉल्यूम शेयर के मूल्य निर्धारण को दर्शाता है। जब वॉल्यूम कम होता है, तब निवेशक कम निवेश करते हैं जिससे गिरावट का अंदाजा लगाया जाता है। इसके विपरीत जब वॉल्यूम बढ़ता है तो शेयर की कीमत भी बढ़ने लगती है । परंतु कुछ परिस्थितियों में ऐसा नहीं होता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम इतना महत्वपूर्ण क्यों?

शेयर बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम (trading volume) काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ज्यादा वॉल्यूम ज्यादा इंटरेस्ट दिखाता है। कम वॉल्यूम निवेशकों का कम इंटरेस्ट दिखाता है। वॉल्यूम की सहायता से शेयर एक नई गति या नई दिशा में जा सकता है। और इसका ट्रेंड बुलिस या बियरिश (Bullish or Bearish) हो सकता है। अधिकतर निवेशक वॉल्यूम को अन्य तकनीकी विश्लेषण के साथ में जोड़ कर देखते हैं । जिससे कि वह उचित निर्णय ले सकें।

सापेक्ष वॉल्यूम(relative volume) क्या है और यह कैसे प्रभाव डालता है?

सापेक्ष वॉल्यूम(relative volume) वर्तमान वॉल्यूम की तुलना “सामान्य” वॉल्यूम से करती है और इसे गुणज के रूप में प्रदर्शित करती है। सामान्य वॉल्यूम पिछले दिनों की दिखाई संख्या के लिए दी गई अवधि के लिए औसत वॉल्यूम (average volume) है। जब सापेक्ष वॉल्यूम 10 है, तो यह दिखाता है कि शेयर सामान्य वॉल्यूम का 10 गुना व्यापार कर रहा हैं। यह ट्रेडिंग गतिविधियों में वृद्धि को दर्शाता है जो कि एक महत्वपूर्ण Price  चाल का नेतृत्व कर सकते हैं । सापेक्ष वॉल्यूम (relative volume) अधिकांश ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। वॉल्यूम में हुई वृद्धि किसी स्टॉक में अंदर या बाहर धन के प्रवाह (Flow) का संकेत दे सकती है, जो कि निवेशक के निर्णय को दिखता है ।

ट्रेडिंग वॉल्यूम(trading volume)

विश्लेषण

  • बुलिश एनगल्फिंग (Bullish engulfing) पैटर्न का बनना – एक लांग ट्रेड का सुझाव देता है। 
  • बुलिश एनगल्फिंग के लो के पास सपोर्ट- सपोर्ट एक स्टॉक में मांग को दिखाता है, निवेशक स्टॉक खरीदने पर गौर कर सकता है।
  • स्टॉक में एक जाना पहचाना कैंडलस्टिक पैटर्न बनना चाहिए।
  • S&R को व्यापार की पुष्टि करनी चाहिए। स्टॉपलॉस भी S&R के आसपास होना चाहिए।
  • एक लांग ट्रेड के लिए, पैटर्न का लो सपोर्ट के आसपास होना चाहिए। 
  • एक शॉर्ट ट्रेड के लिए, पैटर्न का हाई रेजिस्टेंस के आसपास होना चाहिए।
  • वॉल्यूम को ट्रेड की पुष्टि करनी चाहिए।
  • खरीदने के दिन और बेचने के दिन वॉल्यूम एवरेज से अधिक होना चाहिए।
  • लो वॉल्यूम उत्साहजनक नहीं है और इसलिए जहां वॉल्यूम कम हो वहाँ ट्रेड करने से बचें।

निष्कर्ष

एक निवेशक को निवेश करने के पूर्व उस Share के ट्रेंडिंग वॉल्यूम को अच्छे से समझना चाहिए और अन्य तकनीकी विश्लेषण के साथ में उसे जोड़ कर देखना चाहिए। जोकि वॉल्यूम (Volume) की अधिक स्पष्ट और सटीक जानकारी दे सके। निवेश करने के पूर्व वॉल्यूम टेबल (volume table) को जरूर देखना चाहिए, जिससे निवेश संबंधी निर्णय ले सके।

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