कमोडिटी मार्केट और इसके उपयोग | Commodity Market and its Uses

May 26, 2021
कमोडिटी मार्केट और इसके उपयोग (Commodity Market and its Uses)कमोडिटी मार्केट और इसके उपयोग (Commodity Market and its Uses)

काॅमोडिटी (commodity) एक ऐसा कारोबारी उत्पाद (Product) है जिसका उत्पादन क्रय विक्रय और उपभोग से हो सकता है। आमतौर पर यह एक कच्चा गैर प्रोसेस (raw non process) उत्पाद है लेकिन इन एक्सचेजो (exchange) मे प्राइमरी क्षैत्र के उत्पादो और निर्मित उत्पादों के भी सौदे होते है।

भारत मे ऐसे कारोबारी उत्पादो की सूची मे बहुमुल्य धातु, लौहा, मसाले, दलहन, प्लांटेशन अनाज (Metals, Iron, Spices, Pulses, Plantation Cereals) और आदि कृषि उत्पाद (agricultural products) शामिल है। काॅमोडिटी बाजार (commodity market) मे दो तरीके मौजूद है जो पहला है स्पाॅट ट्रेडिंग (spot trading) और दुसरा है फाॅरवर्ड ट्रेडिंग (forward trading)। इन दोनो को ही कानुनी मान्यता मिली हुई है।

स्पाॅट ट्रेडिंग (Spot Trading)

काॅमोडिटी (commodity) मे यह एक पुराना तरीका है जिसमे की सामान खरीदने वाले और बेचने वाले एक स्थान पर जमा होते है और मोल भाव के बाद खरीदार काॅमोडिटी (commodity) बेचने वाले को तय पैसे दे देता है। और खरीदार को सामान मिल जाता है। इसे एक अनाज मंडी (grain market) की तरह भी समझा जा सकता है।

जिसमे सभी किसान मंडी मे एकत्र होते है और अपना अनाज बेचकर पैसा लेकर चला जाता है। इसे स्पाॅट ट्रेडिंग या कैश ट्रेडिंग (spot trading or cash trading) कहा जाता है। स्पाॅट ट्रेडिंग की कानूनी परिभाषा- स्पाॅट ट्रेडिंग का मतलब ऐसी ट्रेडिंग से है जिसमें सामान की डिलीवरी (delivery) और पैसे का भुगतान ग्यारह दिन के भितर कर दिया जाता है या सामान की डिलीवरी ग्यारह दिन के भितर करना होती है।

फॉरवर्ड ट्रेडिंग (Forward trading)

यह एक ऐसी ट्रेडिंग है जो कि दो या दो से अधिक लोगो के बिच होती है जिसमे माल बेचने वाला और माल खरीदने वाला आपस के एक करार (agreement) या वादा करते है कि भविष्य मे आने वालि किसी खास तारिख को सामान की डिलीवरी (delivery) और पैसे का भुगतान किया जायेगा।

इसमे माल की किमत सोदे के दिन ही तय हो जाती है जो भविष्य मे अदा करना होता है। फारवर्ड ट्रेडिंग(forward trading) मे एक समस्या यह है कि जब माल या पैसे देने वाले दिन इनमे से कोई एक व्यक्ति मुकर जाता है तो समस्या हो जाती है।ऐसी स्थिति मे करारनामे (agreement) को लेकर कोर्ट जाया जा सकता है।

इसकी व्यावहारिक (practical) दिक्कत के चलते वायदा बाजार (futures trading) की शुरुआत हुई इसमे इलेक्ट्रानिक काॅमोडिटी एक्सचेंज के जरिये खरीदार और बिक्री करता किसी माल की फाॅरवर्ड ट्रेडिंग (forward trading) करते है।

इसमे सुरक्षा यह है कि किसी एक पक्ष के करार (agreement) तोडने कि स्थिति मे दुसरे पक्ष को तुरंत करार के अनुसार माल या राशि दे दी जाती है। और करार (agreement) तोडने वाले व्यक्ति की मार्जिन मनी (margin money) एक्सचेंज द्वारा जब्त कर ली जाती है।

कमोडिटी मार्केट और इसके उपयोग | Commodity Market and its Uses

फ्यूचर ट्रेडिंग (Future trading)

काॅमोडिटी डेरिवेटिव्स (derivatives) की आनलाइन खरीदी-बिक्री को ही फ्यूचर ट्रेडिंग (futures trading)  कहते है। फ्युचर परफार्मेश (future performance) को आधार बनाकर किसी काॅमोडिटी का किसी खास तारीख को आगामी तारीख के लिए किया जाने वाला इलेट्रानिक सौदा की फ्यूचर ट्रेडिंग को निवेशको के बिच लोकप्रिय बना रहा है।

इसमे एक बात दिलचस्प है कि जिस समय सोदा तय किया जाता है उस समय आपके पास धन या माल (money or goods) नही होने पर भी आप ट्रेडिंग कर सकते है और भविष्य मे तय तारिख पर उसे भुगतान कर सकते है। इसमे एक बात दिलचस्प है कि जिस समय सोदा तय किया जाता है उस समय आपके पास धन या माल नही होने पर भी आप ट्रेडिंग कर सकते है और भविष्य मे तय तारिख पर उसे भुगतान कर सकते है।

रिस्क मैनेजमेंट (Risk management)

प्राइस रिश्क मेनेजमेन्ट (Risk Management) काॅमोडिटी ट्रेडिंग का सबसे बडा फायदा है। इसमे काॅमोडिटी की भौतिक क्षती (physical damage) के लिये इंश्योरेंस (Insurance) का इंतजाम किया जाता है। यदि कोई माल आने वाले समय मे खराब (physical damage) हो जाता है या चोरी हो जाता है। तो इसकी रिकवरी उसके इंश्योरेंस (Insurance) से की जाती है।

प्राइस डिस्कवरी (Price discovery)

फ्यूचर डिस्कवरी (future discovery) एक महत्वपूर्ण पहलु है इसे ऐसे समझते है- मान लिजिये एक किसान कोई फसल लगाना चाहता है परंतु उसे यह मालुम नही हे कि जब वह फसल (crop) पक कर तैयार होगी तब उसकी किमत कितनी होगी। फ्यूचर ट्रेडिंग (futures trading) की मदद से वह यह जान सकता है की जब उसकी फसल बाजार मे आयेगी तब उसका भाव क्या हो सकता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग (futures trading) मे भाव पहले ही तय हो जाते है तो उस किसान को आने वाले समय के तय भाव देखना होता है उस हिसाब से वह अपनी लागत घटा कर तय करता है कि फ्यूचर प्राईस (future price) मे उसे फायदा होगा या नही। इस हिसाब से वह फसल लगा सकता है।

गडबडी पर सरकार की नजर (Government monitoring)

फ्यूचर ट्रेडिंग (futures trading) और काॅमोडिटी पर नजर बनाये रखने के लिये कई सारे नियम बनाये है जिनसे की कोई भी गडबडी ना हो। यहा कोई भी निवेशक बेखोफ (fearless) निवेश कर सकता है और इस मार्केट का हिस्सा बन सकता हे। सरकार की देख रेख मे यहां सभी  ट्रेडिंग पारदर्शी (transparent) होती है जिससे की सभी को सुविधा उपलब्ध होती है।

हर कोई हिस्सा ले सकता है (Everyone can participate)

इस मार्केट मे हर कोई उत्पादक, किसान, निर्यातक, निवेशक, ट्रेडर भाग ले सकते है। यहां पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नही है जो चाहे वह यंहा हिस्सा ले सकते है और मुनाफा कमा सकते हे।

वायदा कांट्रैक्ट (Forward contract)

यहा पर माल बेचने वाले और माल खरिदने वाले दोनो पक्षो को वायदा काॅण्ट्रेक्स (forward contract) द्वारा सुरक्षा मिलती है जिससे की वे बेझिझक मार्केट मे ट्रेडिंग कर सकते है। और कोई विवाद होने पर एक्सचेंज सिधे एक्सन लेता है। जिसमे वह वायदा तोडने वाले की मार्जीन मनी (margin money) जब्त कर लेता है और दुसरे पक्ष को तुरंत वायदे के मुताविब माल या पैसा (goods or money) दे देता है।

यह भी पढे- पेनी (Penny) स्टॉक क्या है? कैसे चुने अच्छे पेनी स्टॉक

ब्लू चिप (Blue chip) स्टॉक क्या है और इन्हें कैसे पहचाने

फिबोनाची रीट्रेसमेंट क्या है इसका उपयोग केसे किया जाता है (Fibonacci Retracements)