शेयर की ट्रेडिंग Stock Exchange के माध्यम से होती है यहां एक प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसमे की शेयर खरिदने वाला , शेयर बेचने वाला और बिचोलिये (ब्रोकर) जो कि Stock Exchange के रजिस्टर लोग होते है । ट्रेडिंग की यह प्रक्रिया डिमांड एवं सप्लाई के नियम पर काम करती है। यहां पर डिमांड ओर सप्लाई के आर्डर का मिलान होता है ओर यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
शेयर मार्केट मे पुराने जमाने मे जिस प्रकार भोतिक लेन देन होता था जिसमे एक पेड (tree) के निचे सभी लोग आते थे और कम्पनीयो के शेयर व सिक्योरिटी (security) बेचते थे जिसके वे प्रमाण पत्र (certificate) जारी करते थे जिसमे काफी ज्यादा दिक्कते आती थी। लेकिन समय के साथ और कम्प्युटर के आने के बाद यह प्रक्रिया काफी ज्यादा सरल ओर सुगम हो गइ है। जिसमे की ट्रेडिंग (trading) आप अपने मोबाईल या लेपटाप से कही से भी कर सकते है जिसमे आपको केवल एक क्लिक पर शेयरो की खरीदी व बिक्री हो जाती है।
आनलाईन ट्रेडिंग केसे करे? (How to do online trading )
शेयरो की आनलाईन ट्रेडिंग करने के लिये सबसे पहले आपको एक अच्छा ब्रोकर चुनना होगा जो आपको बेहतरीन से बेहतरीन सुविधाये प्रदान करे । ब्रोकर (Broker) को चुन लेने के बाद आप उस ब्रोकर (Broker) के यहां अकाउट खोलते है । आज सारे ब्रोकर (Broker) आनलाईन अकाउंट खोलने की सुविधा देते है।
अकाउंट खोलने के लिये आपको आपकी सामान्य सी जानकारी देना होती है जैसे आपका नाम, पता, पेन कार्ड नम्बर, आधार कार्ड , खाता नम्बर जिसमे आप पैसे प्राप्त करेगे और दो फोटो , कभी कभी आपके खाते के वेरिफिकेशन के लिये ब्लेंक या cancel चेक भी ब्रोकर द्वारा मांगा जाता है जिससे की वे यह सुनिश्चित करते है कि आपका खाता सही हो।
इन सभी दस्तावेज और जानकारी के साथ ब्रोकर की साईट पर जाकार या मोबाइल ऐप के माध्य से आप डीमेट खाता खोल लेते है। डीमेट खाता खोल लेने के बाद आप उस खाते मे आपके अनुसार कुछ राशि डीमैट (demat) अकांट मे ट्रांसफर करते है जिससे की आप शेयर खरिदेंगे। इस प्रक्रिया को समझने के लिये हम इन बिन्दु का ध्यान रखते है
- एक अच्छा ब्रोकर चुनना जो बेहतरीन सुविधायें प्रदान करता है
- ब्रोकर के पास आनलाईन डिमैट खाता खोलना
- डिमैट खाता खोलने के बाद खाते मे पैसे जमा करना
- आलाईन टर्मीनल पर पशदीदा शेयर का चार्ट देखना
- आलाईन टर्मीनल का उपयोग कर आर्डर लगाना
- चार्ट के अनुसार आर्डर को मोडीफाई करना
- आर्डर एक्सक्युट होने के बाद डीमैट खाते मे राशि प्राप्त करना।
इस प्रकार हम आनलाइन ट्रेडिंग करते है ओर पैसा कमाते है। आनलाइन शेयर खरिदने व बेचने के कई सारे फायदे व नुकसान है जिसे हम आगे समझते है
आनलाइन ट्रेडिंग के फायदे (Advantages of online trading)
आनलाइन ट्रेडिंग करने से निवेश , ब्रोकर, कम्पनी सभी को फायदा होता है इससे सभी लोगो का समय और धन बचता है । आनलाइन ट्रेडिंग सभी के द्वारा पसंद भी की जाती है क्योकी यह-
- निवेशक को अपने समय अनुसार ट्रांजेक्शन करने की सुविधा देती है।
- निवेशक को फिजिकल उपस्थित होने की आवश्यकता नही होती ।
- फार्म या अन्य कागजी झनझट (paperwork) से छुटकारा ।
- प्राथमिक एवं द्वितीयक बाजार मे आसानी से निवेश।
- गलती की संभावना खत्म हो जाती है।
- ब्रोकर के पास जाने की या फोन लगाने की अवश्यकता नही।
- अत्यधिक टेक्स से छुटकारा
पारदर्शिता (Transparency)
आनलाइन ट्रेडिंग मे किये गये सभी कार्य की पारदर्शिता होती है। निवेशकर्ता (investor) सबसे उचित किमत पर अपने शेयर कम्प्युटर स्क्रीन पर देख कर खरीद या बेच सकता है। वह जिस किमत पर जितने शेयर खरिदना या बेचना चाहता है वह उस संख्या को टर्मीनल पर कोट कर के आर्डर प्लेस कर देता है । और यदि वह मार्केट आर्डर लगाता है तो उसके शेयर किस भाव मे बिके हे वह उसे टर्मीनल पर पारदर्शि तरीके से दिखाये जाते है।
आनलाइन ट्रेडिंग के नुकसान (Disadvantages of online trading)
- आपका अकाउट हैकर्स द्वारा हैक किया जा सकता है।
- जो लोग कम्पयुटर या इन्टरनेट का ज्ञान नही है उन लोगे के लिये यह एक समस्या बन सकता है
- आनलाइन ट्रेडिंग काफी ज्यादा तेज गती से होती है जिसमे आपके लिये गये निर्णय को बदलने की सुविधा नही होती।
- इन्टरनेट की स्पीड कम होने से आपको काफी नुकसान हो सकता है।
ट्रेडिंग के परम्परागत तरीका (Traditional way of trading)
पारंपरिक तरीके मे खरीददार और बेचने वाले के बिच दलाल होता है। जो कि खरिदार से फोन पर आर्डर लेता है जिसमे वह उससे पंजियन संख्या नाम आदि बता कर आर्डर लगवाता है। सोदा होने के बाद ब्रोकर एक कॉन्ट्रैक्ट नोट (contract note) व तय रकम का बिल बनाता है। निवेशक ब्रोकर को चेक के माध्य से पैसे देता है। इसके विपरीत यदि कोई शेयर धारक शेयर बेचता है तो वह ब्रोकर को बताता है कि मुझे इतने शेयर बेचना है।
उसके बाद ब्रोकर उन शेयर को खरीदार को दे देता है और बेचने वाले को एक निश्चित समय मे पैसे का भुगतान कर देता है। इसमे शेयर , शेयर धारक के पास भोतिक रुप से होते है जो कि वह ब्रोकर को देता है इस प्रक्रिया मे उसे शारिरीक रुप से वहां उपस्थित होना पडता है।
ट्रेडिंग के पारंपरिक तरीके के फायदे (Advantages of Traditional Trading)
- आसान तरीका है
- आमने सामने ट्रेडिंग की जाती है
- लचीलापन- नकदी की उपलब्धता आपसी सम्बन्ध से निपटाई जा सकती है।
- निवेशक का सिधे दलाल (Broker) से सम्बन्ध होता है।
- दलाल से सम्बंध के आधार पर अतिरिक्त जानकारी भी ली जा सकती है
ट्रेडिंग के पारंपरिक तरीके के नुकसान (Disadvantages of traditional trading)
- निवेश को भोतिक रुप से उपस्थित रहना पडता है
- शेयरो के फर्जी (fake) होने का डर बना रहता है।
- भोतिक शेयर चोरी हो सकते है
- कागजी काम अत्यधिक होता है
- समय और टैक्स (स्टाम्प ड्युटी) अधिक लगती है।
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