किसी कम्पनी के शेयर खरीदने के बाद आप उस कम्पनी के शेयर होल्डर बन जाते हो जिससे की आपको कई सारे लाभ होते है। एक शेयक होल्डर को होने वाले लाभ या फाइदे इस प्रकार है
कम्पनी मे भागीदारी (Stake in the company)
किसी कम्पनी के शेयर खरीद लेने के बाद शेयर होल्डर ना सिर्फ आर्थिक लाभ उठाता है बल्की वह उस कम्पनी का भागीदार भी बन जाता है। आपके पास कम्पनी के जितने शेयर होते है आप कम्पनी मे उसी अनुपात में हिस्सेदार होते है मान लिजिये किसी कम्पनी ने 100 प्रतिशत शेयर जारी किये और आपके पास 10 प्रतिशत शेयर है तो आप उस कम्पनी के 10 प्रतिशत हिस्सेदार होते है।
जब तक आप इन शेयर को होल्ड कर के रखते है अर्थात जब तक आप इन शेयर को अपने पास रखते है यह हिस्सेदारी तब तक बनी रहती है। इन शेयर को बेच देने के बाद आपकी भागीदारी समाप्त हो जाती है और आपको शेयर के बदले पैसा मिल जाता है।
सूचना का लाभ (Information advantage)
यदि आप किसी कम्पनी के शेयह होल्डर है तो कम्पनी आपको कम्पनी मे होने वाली गतिविधीयो की जानकारी देती है वह आपको बताती है कि काम काज किस प्रकार चल रहा है कम्पनी की होने वाली डील, आय व्यय उसके तिमाही की रिपोर्ट ओर अन्य जानकारी जो आपके दायरे मे आती है कम्पनी आपको देती है।
शेयर होल्डर कम्पनी के देनिक कार्य तो नियत्रित नही करते पर जहां उनकी सहमती की आवश्यकता होती है वह दे सकते है। प्राप्त सूचना के आधार पर शेयर होल्डर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते है जैसे की किस समय शेयर खरीदे जा सकते है या किस समय बैचना उचित होगा आदी।
लाभांश का फायदा (Dividend benefit)
एक शेयर होल्डर को कम्पनी द्वारा कमाये गये लाभ का कुछ हिस्सा डिवीडेट के तोर पर कम्पनी अपने शेयर होल्डर को देती है। जिसमे वह होल्ड किये गये शेयर के अनुपात मे डिवीडेट देती है जिससे की शेयर होल्डर को सिधे आर्थीक लाभ होता है।
जनरल मीटिग मे शामिल होने और वोटिंग का अधिकार (Right to attend and vote in a general meeting)
कम्पनी विभीन्न मुद्दो पर विचार विमर्श के लिये जनरल मीटिग बुलाती है । जिसमे शेयर होल्डर को भी बुलाया जाता है ओर कई सारे ऐेसे मुद्दे होते है जिन पर कम्पनी अपने शेयह होल्डर से वोटिंग कराती है और आगे के निर्णय लेती है। कम्पनी मे यदि किसी मुद्दे पर अत्यधिक वोटिंग नकारात्मक होती है तो कम्पनी द्वारा वह निर्णय नही लिया जाता है ओर कम्पनी अधिक वोट वाली साइट मे अपने निर्णय लेती है । हालांकी एक कम्पनी मे कई सारे शेयर होल्डर होते है इस लिये जिनके पास ज्यादा शेयर होते है उनको प्रभावशाली माना जाता है।
अतिरिक्त शेयर का लाभ
कम्पनी समय समय पर अपने शेयर धारको को बोनस शेयर (bonus share) प्रदान करती है। सबसे पहले बोनस ईश्यु पर प्राथमिक शेयर होल्डर का अधिकार होता है यदि वह लेने से इनकार कर देता हे तो फिर इन्है अन्य व्यक्ति को दिया जाता है परन्तु ऐसा बहुत कम होता है। सभी शेयर होल्डर अपने बोनस शेयर ले लेते है। यह शेयर बिल्कुल फ्रि मे दिये जाते है जिन्हे शेयह होल्डर बाद मे शेयर के दाम बड जाने के बाद बेच देता है और लाभ कमाता है। बोनस शेयर होल्डिंग के अनुपात मे दिये जाते है।
कम्पनी के सरप्लस का अधिकार (Company Surplus Rights)
एक शेयर होल्डर कम्पनी का भागीदार होता है । यदि कम्पनी लिक्विडेशन (liquidation) मे जाती है तो उसे अंत मे जो पूंजी बचती है उसे शेयर होल्डर मे वितरित किया जाता है जिसमे की वह एक बडा हिस्सा पा सकता है।
शेयरो का स्थानांतरण का फायदा (Advantage of transfer of shares)
एक शेयर होल्डर अपने शेयर के साथ स्वतंत्र होता है जिसे वह किसी अन्य व्यक्ति को स्थानांतरित कर सकता है अर्थात अच्छे दाम मिलने पर वह अपने शेयर बैच सकता है ओर लाभ कमा सकता है। एक शेयर होल्डर किसी अन्य कम्पनी के हिस्सेदार या प्रमोटर्स की तरह प्रतिबंधित नही होता है, प्रमोटर्स या अन्य प्रकार के हिस्सेदार प्रतिबंधित होते है और उनके शेयर लाॅक-इन (lock-in) होते है। जिन्हे वह सामान्यतोर पर नही बैच सकता है।
मूलधन की वृद्धि (Growth of principal)
जब किसी कम्पनी के शेयर की किमत बढती है तो उस कम्पनी के शेयर धारको के मुलधन मे वृद्धि होती है । शेयर की किमत बढने पर सबसे ज्यादा फायदा सामान्य शेयर होल्डर को होता है। मान लिजिये यदि आप किसी कम्पनी के शेयर होल्डर है ओर आपने केाई शेयर 100 रुपये मे खरिदा था जिसकी किमत आज बढ कर 120 रुपये हो गई और आपने शेयर को बेच दिया तो आपको 20 रुपये का लाभ मिला । जब शेयर की किमत 90 रुपये हुई तो आपने वापस शेयर खरीद लिया । इस प्रकार यह आपके मुलधन मे वृद्धि करता है।
पोस्टल बैलेट का लाभ (Benefits of Postal Ballet)
एक शेयर होल्डर को जब जनरल मिटीग मे नही जाना होता है और उसे वोट देना होता है तो वह पोस्टल बैलेट का उपयोग कर सकता है ओर अपना वोट दे सकता हे यह इतना ही प्रभावशील होता है जितना की आपक व्यक्तिगत रुप से उस जनरल मिटीग मे उपस्थित होते है।
कम्पनी उन सभी मुद्दो को बैलेट मे दर्शाती है जिनपर वोटिग होती है इसमे उन मुद्दो से सम्बधित निर्णय क्यो लिये गये है आप उन निर्णयो से सहमत है या अ सहमत है वह आप अपने पोस्टल बैलेट की मदद से कम्पनी के पते पर लिफाफे मे डालकर भेज देते है।
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